World Environment Day : एक पर्यावरण प्रेमी ऐसा भी, जानिए इनका लक्ष्य और बलिया से रिश्ता
World Environment Day 2023 : कहने वालों ने ठीक ही कहा है कि 'हम बदलें तो युग बदलेगा’, इसी भावना से प्रेरित नगरा ब्लाक में तैनात एआरपी (सामाजिक विषय) शैलेंद्र प्रताप यादव ने 5 सितंबर 2020 को पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया था। शैलेंद्र का प्रतिदिन पौधारोपण का जन जागरूकता प्रयास अद्भुत है। शैलेंद्र की सोच की जितनी भी सराहना की जाय, कम है।
मूल रूप से मऊ जनपद के सहादतपुरा निवासी शैलेंद्र प्रताप यादव का कहना है कि इस साल विश्व पर्यावरण दिवस का थीम ’’लाइफ’’ है, जिसका अभिप्राय जीवन शैली से है। अभिप्राय यह कि अगर हमने अपनी जीवनशैली प्रकृति के अनुकूल कर दी तो पर्यावरण का संरक्षण स्वयं ही हो जायेगा। क्योंकि हम प्रकृति के मालिक नहीं, बल्कि अन्य जीवधारियों की ही तरह उसके अंग हैं। हम प्रकृति का संचालन अपने हिसाब से नहीं कर सकते। अगर हमें सुखी और सुरक्षित जीवन जीना है तो प्रकृति के अनुसार ही चलना होगा।
बलिया में बेसिक शिक्षक शैलेंद्र बताते है कि प्रकृति हमें सांस लेने के लिए हवा और पेट भरने के लिए भोजन पानी के साथ बहुत कुछ देती हैै। प्रकृति और पर्यावरण ब्रह्मांड को सुचारू तौर पर चलाने का काम करता है। बावजूद इसके इंसान बदले में प्रकृति का दोहन करता है। पर्यावरण को प्रदूषित करता है। इससे जनजीवन खतरे में पड़ जाता है। इंसान का कर्तव्य है कि ग्लोबल वार्मिंग, मरीन पॉल्यूशन के बढ़ते खतरे और बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करें, ताकि पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सके। इसी कर्तव्य के प्रति लोगों को सचेत करने के लिए हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।
शैलेंद्र कहते है 'जब प्रकृति ही सुरक्षित नहीं रहेगी तो जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। पर्यावरण के प्रति हर किसी को सजग होना होगा।' 5 सितंबर 2020 से प्रतिदिन पौधारोपण जन जागरूकता अभियान में जुटे शैलेंद्र का कहना है कि पर्यावरण संरक्षण हम सब की नैतिक जिम्मेदारी और कर्तव्य है। जब तक सांसे चलती रहेंगी, कार्य जारी रहेगा। बच्चों के साथ समाज के प्रत्येक वर्ग में गोष्ठी, जागरूकता कार्यक्रम कर पौधों के महत्व को बताता रहूंगा।
विद्यालय में बच्चों को अपने जन्मदिवस पर पौधा लगाने व जल संरक्षण के लिए प्रेरित करता रहूंगा। प्रतिदिन पौधारोपण कर जन जागरूकता अभियान का 1000वां दिन 5 जून पर्यावरण दिवस पर पूरा हो रहा है। शैलेंद्र पर्यावरण संरक्षण हेतु बीते वर्ष मई में मऊ से वाराणसी तक पदयात्रा, गांधी जयंती पर मऊ से लुंबनी नेपाल तक साइकिल यात्रा, तमसा नदी हेतु अनशन व 1250 से अधिक स्कूलों में संगोष्ठी कर चुके हैं।
Comments