बलिया में कजरी महोत्सव : विलुप्त होती संस्कृति और परम्परा को बचाने का संकल्प, महिलाओं ने कुछ यूं गाएं गीत ; देखें Video



बलिया : विलुप्त हो रही अपनी पुरानी संस्कृति औऱ परम्परा क़ो बचाने के लिए मोतीनगर की महिलाओं ने शिक्षिका रीना ओझा के नेतृत्व में मित्रता दिवस पर कजरी महोत्सव का आयोजन प्रज्ञाय सदन पर किया। रंग-बिरंगे परिधानों में सजी-धजी महिलाओं का उत्साह देखते ही बन रहा था। महिलाएं झाल-ढोलक पर मंगल गीत गाकर महोत्सव की शोभा बढ़ा रही थीं।
कजरी महोत्सव का शुभारम्भ बतौर मुख्य अतिथि संस्कार भारती की महिला मोर्चा की जिलामंत्री रश्मि पाल ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर किया। इसके बाद महादेव की भजन के बाद महिलाओं ने 'घन घन बरसे हो बदरिया, कैसे नौकरियां जइबा ना', 'झिर झिर बुनिया हो, झिर झिर बुनिया, पड़ेला झिर झिर बुनिया', 'पिया मेंहदी मंगा द मोती झील से, जाके साईकिल से ना' तथा 'सांझे बोले चिरई, पराते कोइलारिया-मोरवा बोलेला, आधी रात नु राम' इत्यादि एक से बढ़कर एक कजरी गीत गाकर महोत्सव के महत्व का संदेश दिया।
कार्यक्रम की संयोजक रीना ओझा ने कहा कि हम सभी क़ो अपनी संस्कृति से जुड़कर औऱ हर पर्व क़ो मिलजुलकर मनाना चाहिए। सभी महिलाओं ने सावन महोत्सव क़ो बड़े उत्साह के साथ मनाया औऱ अपनी अभूतपूर्व प्रदर्शन को प्रदर्शित किया। सावन महीने में प्लास्टिक का कम से कम उपयोग औऱ वृक्षारोपण का संकल्प लिया गया। कार्यक्रम में निशा मिश्रा, वन्दना मिश्रा, डॉ दिव्या त्रिपाठी, ममता यादव, गुड़िया सिंह, नेहा सिंह, शर्मीला यादव, किरण पाण्डेय, मंजू सिंह, शीला पाण्डेय, शालिनी शुक्ला, छाया यादव आदि रही।

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