जीवन देवता को साधे, क्योंकि...

जीवन देवता को साधे, क्योंकि...

🌴०३ अगस्त  २०२५ रविवार 🌴
।।श्रावण शुक्लपक्ष दशमी२०८२ ।।

          ‼️ऋषि चिंतन ‼️

👉दरिद्रता से बाहर निकलने और जिंदगी को सुखी-खुशहाल बनाने के लिए कई लोग तरह-तरह के देवी-देवताओं का पूजा-पाठ, ध्यान-जप करते रहते हैं। सोचते हैं कि वे संतुष्ट होकर आशीर्वाद - वरदान देंगे और मनोकामनाएँ पूरी करेंगे। इसमें वे कितने सफल हो पाते हैं, कुछ कह नहीं सकते, क्योंकि यहाँ सब कुछ बाहरी शक्तियों की इच्छा पर निर्भर करता है, इसमें सेवक की क्या मर्जी ? वह तो अनुनय-विनय ही कर सकता है। आमतौर पर इसमें खीझ-निराशा और अनास्था ही हाथ लगती है, किंतु इस धरती पर एक ऐसा "देवता" जरूर है, जिसकी साधना कभी बेकार नहीं जाती। वह अपने भक्त को कभी निराश नहीं करता। वह हाथों-हाथ मेहनत का फल देता है। इस देवता की खोज के लिए हमें बाहर भटकने की जरूरत नहीं, यह है हमारा सबसे नजदीकी "जीवन देवता"। इसको यदि हम सही ढंग से साध लें, तो यही कल्पवृक्ष बन जाता है, जिसके नीचे बैठने से मन की सभी इच्छाएँ पूरी हो जाती हैं। अतः बाहर भटकने की बजाय, जरूरत इतनी भर है कि हम अपने आपको सँभालें, अपने को सुधारते व सँवारते हुए "जीवन देवता" की साधना करें।

👉जो इस सचाई को जितनी जल्दी समझ जाता है, उसे उतना ही बड़ा सौभाग्यशाली माना जाएगा। मनुष्य जन्म से जुड़े भाँति-भाँति के उपहार, सुख व आनंद का लाभ ऐसे ही लोगों को मिलता रहा है और मिलता रहेगा। इसी जीवन देवता की साधना करने पर छोटे-छोटे सामान्य से लोगों को इतिहास पुरुष बनने का गौरव मिला है। महात्मा गाँधी शरीर से दुबले-पतले थे। सिर्फ ९८ पौंड की काया वाले गाँधी जी में जीवन देवता की साधना से ऐसी प्रचंड शक्ति जागी कि ब्रिटिश राज हिल उठा था। अब्राहम लिंकन, मार्टिन लूथर किंग, जार्ज वाशिंगटन आदि भी पहले सामान्य से इंसान थे, किंतु जीवन देवता की साधना के बाद वे कहाँ से कहाँ जा पहुँचे।

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👉जीवन के हर क्षेत्र में ऐसे उदाहरण भरे पड़े हैं। इसी देवता की साधना करने पर सी. वी. रमन, जगदीशचंद्र बसु, आइन्स्टीन, मार्क्स, मैडम क्यूरी, एडीसन आदि वैज्ञानिकों को जो उपलब्धियाँ मिलीं, उसके लिए उन्हें किसी अन्य देवी-देवता की मनुहार-गुहार नहीं करनी पड़ी थी। आज जो वैज्ञानिक उपलब्धियों की चकाचौंध चारों ओर दिखती है, यह मनुष्य की क्षमता का मात्र दस प्रतिशत हिस्से का कमाल है। जब बाकी ९० प्रतिशत भाग को भी जगाया जाएगा, तो इसके चमत्कार की कल्पना की जा सकती है? *जैसे ब्रह्मांड का छोटा रूप परमाणु है, वृक्ष छोटे से बीज में सुरक्षित रहता है। वैसे ही मनुष्य के अंदर भगवान की सारी शक्तियाँ दबी पड़ी हैं। इनको जगाया जाए, तो ये ऋद्धि-सिद्धियों के रूप में प्रकट होती हैं।जीवन देवता की साधना द्वारा ही ऋषि-मुनि, योगी, तपस्वी, सिद्ध पुरुष आदि इन शक्तियों के स्वामी बनते हैं।

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👉आम आदमी उस कोयले के अंगार की तरह सामान्य सी अवस्था में पड़ा रहता है, जिस पर राख की मोटी परत चढ़ी रहती है, पर जब इस राख को हटाया जाता है, तो अपनी चमक और गरमी देने लगता है। ऐसे ही "जीवन देवता" की साधना करने पर मनुष्य के अंदर अपना असली रूप प्रकट होने लगता है, जो कि स्वयं भगवान का अंश है।

👉इसके जागने के साथ मनुष्य के अंदर वह चुंबक पैदा होने लगता है, जो अपने विकास और सफलता के लिए आवश्यक चीजों, व्यक्तियों और परिस्थितियों को अपनी ओर खींचता है। जैसे पेड़ की आकर्षण शक्ति बादलों को खींचकर बरसने के लिए मजबूर करती है, खानों में धातुएँ अपनी जाति के कणों को दूर-दूर से खींचकर पास इकट्ठा करती हैं, खिलते फूल अपने चुंबक से मधुमक्खी, तितली और भौरों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं, इसी प्रकार "जीवन देवता" को साधने पर पैदा हुआ चुंबक ईश्वर की शक्तियों को बुलाता है और आशीर्वाद देने के लिए विवश करता है।

  मानव जीवन की गरिमा पृष्ठ २५
  🍁।।पं श्रीराम शर्मा आचार्य।।🍁

बिजेन्द्र नाथ चौबे
गायत्री शक्तिपीठ महावीर घाट, गंगा जी मार्ग बलिया।

 

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