बलिया में विद्यालयी खेलों से खिलवाड़ : संसाधनों के अभाव में नहीं हो सकीं तैराकी और कराते प्रतियोगिता, लेकिन...



बलिया : जनपद का विद्यालयी खेल करीब एक सप्ताह से चर्चा-ए-खास है। जिला विद्यालयी क्रीड़ा समिति को जिला विद्यालय निरीक्षक द्वारा बन्द कमरे में किये गए गठन को लेकर उपजे विवाद के बाद अब जनपदीय खेल कैलेंडर की भारी अनियमितता और पूर्वाग्रह का दंश जनपद के नौनिहालों को झेलना पड़ रहा है। शुक्रवार को जहां आयोजन स्थल को लेकर भ्रम के बीच जनपदीय तैराकी व डाइविंग प्रतियोगिता में एक भी खिलाड़ी प्रतिभागिता के लिए नहीं आये, ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या बलिया में तैराकी का एक भी खिलाड़ी नहीं है ?
वहीं शनिवार को संसाधनों व निर्णायक के अभाव में जनपदीय विद्यालयी कराते प्रतियोगिता के आयोजक ने जनपदीय प्रतियोगिता कराने से यह कहकर मना कर दिया कि, मुझे विभागीय अधिकारियों द्वारा कोई भी सूचना या निर्देश प्राप्त नहीं है।विद्यालयी खेलों में माध्यमिक व बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में सैकड़ों की संख्या में खेल अध्यापकों के कार्यरत होने के बावजूद आयोजन स्थल, संसाधन व निर्णायक के अभाव में खेल प्रतियोगिताओं और खेल व्यवस्था का इस प्रकार ध्वस्त होना, सिस्टम पर गहरे सवाल खड़ा करता है।
जनपद में शनिवार को आयोजित होने वाली जनपदीय विद्यालयी कराते प्रतियोगिता के लिए अल सुबह से ही खिलाड़ी वीर लोरिक स्पोर्ट्स स्टेडियम में एकत्रित होने लगे। हालांकि इस प्रतियोगिता का आयोजन कंपोजिट विद्यालय रामपुर (चिलकहर) को दिया गया था। लेकिन विद्यालय के प्रधानाध्यापक ने एक दिन पूर्व ही संसाधन की अनुपलब्धता और विभागीय अधिकारियों द्वारा प्रॉपर सूचना नहीं दिए जाने के कारण जनपदीय आयोजन कराने में असमर्थता जाहिर कर दी।
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर जनपदीय क्रीड़ा समिति ने बगैर सहमति और उचित पड़ताल के कंपोजिट प्राथमिक विद्यालय रामपुर (चिलकहर) को कराते की प्रतियोगिता कैसे आवंटित कर दी ? बहरहाल आनन फानन में प्रतिभागी कराते खिलाड़ियों को स्टेडियम बुलाया गया। स्टेडियम पहुंचे खिलाड़ियों की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ली, कारण स्टेडियम में भी क्रीड़ा समिति ने ना तो कराटे के मैट की व्यवस्था की थी ना ही प्रतियोगिता कराने के लिए क्वालिफाइड निर्णायक मंडल की। ऐसे में प्रतियोगिता अव्यवस्था की भेंट चढ़ गई और खिलाड़ी उदास होकर घर को वापस लौटने पर मजबूर दिखे।
जिविनि की जगह ओलंपिक संघ को भेजी प्रतिलिपि
25 जुलाई को जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में विवादों की भेंट चढ़ी जनपदीय क्रीड़ा समिति की बैठक को जिला विद्यालय निरीक्षक देवेंद्र गुप्ता ने कोरम का अभाव दिखाकर स्थगित कर दिया था। बैठक स्थगित होने के बावजूद बिना बैठक के जनपदीय खेल कैलेंडर जारी होना अपने आप सवाल खड़े करता है। लेकिन अपने गलत निर्णयों पर पर्दा डालने की जल्दबाजी में क्रीड़ा सचिव एक के बाद एक गलतियां किए जा रही हैं। हालिया वायरल पत्र में सचिव दिनेश प्रसाद में जिला कराते एसोसिएशन को पत्र लिख कर कराते प्रतियोगिता के लिए मैट व निर्णायक की मांग की है।
नियमानुसार क्रीड़ा सचिव को इस पत्र की प्रतिलिपि जिला विद्यालय निरीक्षक व जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को करनी चाहिए। लेकिन दिनेश प्रसाद ने इस पत्र की प्रतिलिपि जिला ओलंपिक संघ को की है, ऐसे में खेलों के जानकार इस पत्र के आधार पर यह प्रश्न उठा रहे हैं कि जब क्रीड़ा सचिव को विभागीय पत्राचार का सामान्य शिष्टाचार नहीं पता है तो इनकी खेल व संचालन योग्यता पर प्रश्न उठना तो लाजमी है। बहरहाल कहना गलत नहीं होगा कि विद्यालयी खेलों संग चल रहा खिलवाड़ जनपद के युवा खिलाड़ियों पर भारी पड़ता दिखाई दे रहा है।

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