इस दुर्लभ अवसर को न चूकें



१० अगस्त २०२५ रविवार
भाद्रपद कृष्णपक्ष प्रतिपदा२०८२
ऋषि चिंतन
👉इन दिनों एक अद्भुत और दुर्लभ अवसर मनुष्य के सामने आ खड़ा हुआ है। स्वयं भगवान इस संसार रूपी अपनी बगिया में फैली अशांति, अव्यवस्था और बिगड़ी हालत को ठीक करना चाहते हैं। इसके लिए वे युग परिवर्तन की एक सुनिश्चित जीवन की गरिमा योजना बना चुके हैं, जो अपने कई चरणों में लागू भी हो चुकी है। २१वीं सदी में इसका अधिकांश हिस्सा पूरा होगा।
👉यही समय है कि हम भगवान के काम में अपना हाथ बँटाकर उस सौभाग्य को पाएँ, जो कभी केवट, शबरी, गिद्ध, गिलहरी व वानर-भालुओं ने अपनी साधारण व छोटी-सी स्थिति में भी अपने समर्पण भाव से भगवान के काम में लगकर पाया था। उनमें से कोई भी घाटे में नहीं रहा। *यशोधरा के पुत्र राहुल और अशोक की पुत्री संघमित्रा ने बुद्ध के इशारों पर अपने को न्यौछावर कर वह श्रेय पाया, जिसे वे अन्य लोगों जैसा ओछा व स्वार्थ भरा जीवन जीते हुए किसी भी तरह नहीं पा सकते थे। बुद्ध-गाँधी की सफलता के पीछे भी इसी सचाई को काम करते हुए देखा जा सकता है। *इसी क्रम में पिछले दिनों गुजरात वीरपुर के जलाराम बापा अपना सारा साधन-वैभव भगवान के काम में लगाकर अक्षय अन्न भंडार की झोली पा चुके हैं।
👉आज इस विशेष समय में जब मनुष्य के अंदर और बाहर के माहौल में दोनों ही मोरचों पर बुराई, आसुरी आतंक और पशुता का दुष्प्रभाव बढ़ा-चढ़ा है, हर व्यक्ति से एक अर्जुन बनकर दोहरा मोरचा सँभालने की जरूरत महसूस की जा रही है। सामयिक सुधार, दबाव, बदलाव के लिए ऐसे जीवंत, जाग्रत इंसानों की जरूरत पड़ रही है, जिनको पांडवों की तरह मोरचे पर अड़ाकर महाभारत को जीतने का श्रेय दिलाया जा सके। भगवान की इस पुकार को सुनने, समझने व अपनाने में समझदारों में से किसी को पीछे नहीं रहना चाहिए।
मानव जीवन की गरिमा पृष्ठ ३२
🍁।।पं श्रीराम शर्मा आचार्य।।🍁
बिजेन्द्र नाथ चौबे, गायत्री शक्तिपीठ महावीर घाट गंगा जी मार्ग बलिया।

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