PMKVY में मिष्ठान और अन्नकूट प्रशिक्षण शामिल करने की मांग तेज




बाबा गणिनाथ भक्त मण्डल ने भारत सरकार से किया अनुरोध, पारंपरिक कारीगरों के कौशल को मिले सम्मान
Ballia News : प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) में ‘मिष्ठान व अन्नकूट निर्माण’ व्यवसाय को शामिल करने की मांग तेज हो गई है। बाबा गणिनाथ भक्त मण्डल ने कहा कि यह लाभकारी उद्योग कुशल प्रशिक्षण और तकनीकी दक्षता पर आधारित है तथा लाखों युवाओं को रोजगार दे सकता है। कानु, कान्दु, हलवाई, भुज-भुर्जी, गुड़िया सहित पारंपरिक कारीगर समुदाय आज भी उपेक्षित हैं। मांग की गई है कि उन्हें PMKVY के माध्यम से आधुनिक प्रशिक्षण, प्रमाणन और आर्थिक सहयोग प्रदान किया जाए।
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) भारत सरकार की एक महत्त्वपूर्ण और दूरदर्शी स्किल डेवलपमेंट पहल है, जिसका उद्देश्य युवाओं को उद्योग-प्रासंगिक प्रशिक्षण प्रदान कर रोजगार योग्य बनाना है। कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय द्वारा संचालित इस योजना ने अब तक लाखों युवाओं को निःशुल्क अल्पकालिक प्रशिक्षण के माध्यम से रोजगार एवं स्वरोजगार के अवसर प्रदान किए हैं। लेकिन हैरानी की बात यह है कि ‘मिष्ठान एवं अन्नकूट निर्माण व व्यवसाय’ जैसे विशाल, लाभकारी और तेजी से बढ़ते क्षेत्र को अब तक PMKVY के प्रशिक्षण कोर्स में शामिल नहीं किया गया है। जबकि यह उद्योग भारत की सांस्कृतिक पहचान, परंपरा और सामाजिक ताने-बाने का अभिन्न हिस्सा है।
बाबा गणिनाथ भक्त मण्डल के राष्ट्रीय संरक्षक राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता एवं मध्यदेशीय वैश्य महासभा के पूर्व राष्ट्रीय युवा अध्यक्ष राजेश कुमार गुप्ता ने इस गंभीर विषय पर आवाज उठाते हुए कहा कि “मिष्ठान और अन्नकूट निर्माण व्यवसाय केवल मिठाई या नमकीन बनाने का काम नहीं, बल्कि सदियों से भारतीय परंपरा, संस्कृति और जीविका का आधार रहा है। यह ऐसा उद्योग है, जो गांव से महानगर तक हर घर, हर उत्सव और हर परिवार की खुशी से जुड़ा है।”
मिष्ठान व अन्नकूट उद्योग की बढ़ती आवश्यकता
भारत में परंपरागत मिष्ठान, नमकीन, स्नैक्स, स्वीट्स, अन्नकूट, भुंजा, चिप्स, लाई, फुरहरी आदि उत्पादों की मांग देश में ही नहीं, विदेशों में भी अत्यधिक है। इसके बावजूद आज भी इस क्षेत्र में प्रशिक्षण प्राप्त कुशल कारीगरों की भारी कमी है। आधुनिक युग में फूड सेफ्टी, मात्रा संतुलन, प्रिजर्वेशन तकनीक, पैकेजिंग, ब्रांडिंग, मार्केटिंग मैनेजमेंट और अंतरराष्ट्रीय मानक की वैज्ञानिक समझ के बिना यह उद्योग प्रतिस्पर्धा में पीछे रह जाता है।यदि इस प्रशिक्षण को PMKVY में शामिल किया जाए, तो लाखों युवाओं को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है, नए स्टार्टअप और कुटीर उद्योग स्थापित हो सकते हैं और भारतीय मिष्ठान व नमकीन दुनिया भर में नई पहचान हासिल कर सकते हैं।
सदियों पुराने कारीगर समुदायों की उपेक्षा
इस क्षेत्र से सदियों से जुड़ी परंपरागत जातियाँ- कानु, कान्दु, मध्यदेशिया कान्दू, हलवाई, भुज-भुर्जी, गुड़िया, कन्दोई, मोयरा, मोदक, भुंजिया, भडभूजा, भोजवाल, ज्वालिया, भोज्यवाल आदि कई राज्यों में अत्यंत पिछड़ी जाति, पिछड़ी जाति एवं अनुसूचित जाति में आती हैं। इनके पास अद्भुत पारंपरिक कौशल है, फिर भी आधुनिक प्रशिक्षण न होने, सरकारी सहयोग की कमी और आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण वे हाशिए पर धकेल दिए गए हैं। उनके कौशल का सम्मान और संरक्षण किए बिना आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना अधूरी है।
सरकार से प्रमुख मांग
बाबा गणिनाथ भक्त मण्डल ने कौशल विकास मंत्रालय से आग्रह किया है कि- PMKVY में ‘मिष्ठान एवं अन्नकूट निर्माण व्यवसाय’ को तुरंत शामिल किया जाए। पारंपरिक कारीगर समुदायों को औपचारिक प्रशिक्षण एवं प्रमाणन दिया जाए। वित्तीय सहायता और आधुनिक प्रशिक्षण देकर स्टार्टअप इंडिया, मेक इन इंडिया से जोड़ा जाए। रोजगार एवं आर्थिक सशक्तिकरण के नए अवसर खोले जाएँ।
बाबा गणिनाथ भक्त मण्डल की अपील
“यह मांग केवल रोजगार की नहीं, बल्कि सदियों पुरानी सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण, तकनीकी उन्नयन, सामाजिक सम्मान और आर्थिक न्याय की मांग है। यदि सरकार इसे PMKVY में शामिल करती है, तो लाखों युवा आत्मनिर्भर बनेंगे और भारतीय मिष्ठान उद्योग वैश्विक मंच पर चमकेगा।”
हमारी एकजुट आवाज
हम जो माँग रहे हैं, वह अनुकम्पा नहीं-हम अपने कौशल का सम्मान मांग रहे हैं। सरकार आगे आए-युवा सशक्त बने-कौशल को सम्मान मिले-परंपरा सुरक्षित रहे।

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