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Read More... 'साहित्य अर्पण' के आंगन में काव्य गोष्ठी : कवयित्रियों ने पढ़ी एक से बढ़कर एक रचनाएं, खूब उड़ी शब्दों की बसंती फुहार
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By Purvanchal 24
नई दिल्ली। स्वतंत्रता दिवस और बसंत पंचमी के उपलक्ष्य में 'साहित्य अर्पण' द्वारा काव्य पाठ का आयोजन किया गया। 2018 से निरंतर हिंदी साहित्य के लिए हिंदी पथ पर अग्रसर साहित्य अर्पण की व्यवस्थापिका नेहा शर्मा द्वारा आयोजित विशेष काव्य...
Read More... अगर दिल में तेरे तकब्बुर जनम ले, उठाकर नजर...
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By Purvanchal 24
ये माना ग़मों से गले तक भरे हैं,मगर मत समझना कि तुमसे परे हैं।जमाने ने मुझको दिये ज़ख्म लाखों,अजब ये है सारे ही अब तक हरे हैं।कभी जिक्र मेरा करोगे ये कहकर,सभी बस मेरी आरजू...
Read More... जहां में तुझी से करूं मैं मुहब्बत, मगर...
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By Purvanchal 24
तड़प अब भी कितनी, सनम जांचते हैं,मोहब्बत की चिट्ठी चलो बांचते हैं।जहां में तुझी से करूं मैं मुहब्बत,मगर तुझ से कहते ये लब कांपते हैं।न चाहूं कभी मैं, ये दौलत, ये शोहरत,सदा बस दुआ में...
Read More... जहां में तुझी से करूं मैं मुहब्बत, मगर तुझ से कहते ये लब कांपते हैं...
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By Purvanchal 24
तड़प अब भी कितनी, सनम जांचते हैं,मोहब्बत की चिट्ठी चलो बांचते हैं।जहां में तुझी से करूं मैं मुहब्बत,मगर तुझ से कहते ये लब कांपते हैं।न चाहूं कभी मैं, ये दौलत, ये शोहरत,सदा बस दुआ में...
Read More... कर रही हूं मैं निवेदन प्रेम यह स्वीकार हो, जिंदगी में...
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By Purvanchal 24
कर रही हूं मैं निवेदन प्रेम यह स्वीकार हो,जिंदगी में हर घड़ी अब आपका दीदार हो।मखमली रिश्तों में लिपटा इक हसीं घर-बार हो,चाह है मेरी यही मेरा भी इक परिवार हो।कौन चाहेगा भला यह, हर घड़ी...
Read More... तुझे ये समझना ज़रूरी बहुत है, तेरा साथ लाज़िम है इस ज़िन्दगी को...
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By Purvanchal 24
न ग़म देख पाये न देखे खुशी को,सदा देखते ही रहे बस कमी को।तेरे साथ जीवन बिताना मैं चाहूं,बताऊं भला कैसे दिल की लगी को।बुराई हो मुझमें तो मुझको बताओ,जब अच्छाई पाना बताना सभी को।...
Read More... सर चढ़ के बोलती है मुहब्बत कभी-कभी...
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By Purvanchal 24
सर चढ़ के बोलती है मुहब्बत कभी-कभीकरते हैं इश्क वाले बग़ावत कभी-कभीनज़रों की शोख़ी लब की नज़ाकत के जादू से,लगती बहुत भली है शिकायत कभी कभीनज़दीक आ के बैठिये, दिल को सुकूं मिलेमिलती है इस...
Read More... समझे न दर्द तुम भी कभी और बात है...
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By Purvanchal 24
आयी तेरी जो याद तो आती चली गई,अहसास दूरियों का कराती चली गई।समझे न दर्द तुम भी कभी और बात है,ग़ज़लों में हाले दिल मैं बताती चली गई।राहों में दिल की आयी तो मुश्किल मगर, मेरे...
Read More... मान लूं कैसे कि मुझसे प्यार है...
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By Purvanchal 24
आपका हर फैसला स्वीकार है,फिर भला किस बात की तकरार है।तब तलक ही अपना रिश्ता है यहां,जब तलक बाकी दिलों में प्यार है।यह भी पढ़ें : दिल मिलाओ तो बात हो कोई...किस तरह सुलझेंगे अब...
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