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'साहित्य अर्पण' के आंगन में काव्य गोष्ठी : कवयित्रियों ने पढ़ी एक से बढ़कर एक रचनाएं, खूब उड़ी शब्दों की बसंती फुहार

'साहित्य अर्पण' के आंगन में काव्य गोष्ठी : कवयित्रियों ने पढ़ी एक से बढ़कर एक रचनाएं, खूब उड़ी शब्दों की बसंती फुहार नई दिल्ली। स्वतंत्रता दिवस और बसंत पंचमी के उपलक्ष्य में 'साहित्य अर्पण' द्वारा काव्य पाठ का आयोजन किया गया। 2018 से निरंतर हिंदी साहित्य के लिए हिंदी पथ पर अग्रसर साहित्य अर्पण की व्यवस्थापिका नेहा शर्मा द्वारा आयोजित विशेष काव्य...
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अगर दिल में तेरे तकब्बुर जनम ले, उठाकर नजर...

अगर दिल में तेरे तकब्बुर जनम ले, उठाकर नजर... ये माना ग़मों से गले तक भरे हैं,मगर मत समझना कि तुमसे परे हैं।जमाने ने मुझको दिये ज़ख्म लाखों,अजब ये है सारे ही अब तक हरे हैं।कभी जिक्र मेरा करोगे ये कहकर,सभी बस मेरी आरजू...
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जहां में तुझी से करूं मैं मुहब्बत, मगर...

जहां में तुझी से करूं मैं मुहब्बत, मगर... तड़प अब भी कितनी, सनम जांचते हैं,मोहब्बत की चिट्ठी चलो बांचते हैं।जहां में तुझी से करूं मैं मुहब्बत,मगर तुझ से कहते ये लब कांपते हैं।न चाहूं कभी मैं, ये दौलत, ये शोहरत,सदा बस दुआ में...
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जहां में तुझी से करूं मैं मुहब्बत, मगर तुझ से कहते ये लब कांपते हैं...

जहां में तुझी से करूं मैं मुहब्बत, मगर तुझ से कहते ये लब कांपते हैं... तड़प अब भी कितनी, सनम जांचते हैं,मोहब्बत की चिट्ठी चलो बांचते हैं।जहां में तुझी से करूं मैं मुहब्बत,मगर तुझ से कहते ये लब कांपते हैं।न चाहूं कभी मैं, ये दौलत, ये शोहरत,सदा बस दुआ में...
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कर रही हूं मैं निवेदन प्रेम यह स्वीकार हो, जिंदगी में...

कर रही हूं मैं निवेदन प्रेम यह स्वीकार हो, जिंदगी में... कर रही हूं मैं निवेदन प्रेम यह स्वीकार हो,जिंदगी में हर घड़ी अब आपका दीदार हो।मखमली रिश्तों में लिपटा इक हसीं घर-बार हो,चाह है मेरी यही मेरा भी इक परिवार हो।कौन चाहेगा भला यह, हर घड़ी...
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तुझे ये समझना ज़रूरी बहुत है, तेरा साथ लाज़िम है इस ज़िन्दगी को...

तुझे ये समझना ज़रूरी बहुत है, तेरा साथ लाज़िम है इस ज़िन्दगी को... न ग़म देख पाये न देखे खुशी को,सदा देखते ही रहे बस कमी को।तेरे साथ जीवन बिताना मैं चाहूं,बताऊं भला कैसे दिल की लगी को।बुराई हो मुझमें तो मुझको बताओ,जब अच्छाई पाना बताना सभी को।...
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सर चढ़ के बोलती है मुहब्बत कभी-कभी...

 सर चढ़ के बोलती है मुहब्बत कभी-कभी... सर चढ़ के बोलती है मुहब्बत कभी-कभीकरते हैं इश्क वाले बग़ावत कभी-कभीनज़रों की शोख़ी लब की नज़ाकत के जादू से,लगती बहुत भली है शिकायत कभी कभीनज़दीक आ के बैठिये, दिल को सुकूं मिलेमिलती है इस...
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समझे न दर्द तुम भी कभी और बात है...

समझे न दर्द तुम भी कभी और बात है...   आयी तेरी जो याद तो आती चली गई,अहसास दूरियों का कराती चली गई।समझे न दर्द तुम भी कभी और बात है,ग़ज़लों में हाले दिल मैं बताती चली गई।राहों में दिल की आयी तो मुश्किल मगर, मेरे...
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मान लूं कैसे कि मुझसे प्यार है...

मान लूं कैसे कि मुझसे प्यार है... आपका हर फैसला स्वीकार है,फिर भला किस बात की तकरार है।तब तलक ही अपना रिश्ता है यहां,जब तलक बाकी दिलों में प्यार है।यह भी पढ़ें : दिल मिलाओ तो बात हो कोई...किस तरह सुलझेंगे अब...
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