बलिया : खटाई में पड़ी दो गांवों की 'कोटा' चयन प्रक्रिया, ये है वजह

बलिया : खटाई में पड़ी दो गांवों की 'कोटा' चयन प्रक्रिया, ये है वजह


शिवदयाल पांडेय मनन
बैरिया, बलिया। सम्भावित बवाल के दृष्टिगत पुलिस विभाग द्वारा सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराने में असमर्थता जताने पर दो गांवों की सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों का खुली बैठक के तहत चयन कार्यक्रम खटाई में पड़ गया हैं। मसलन, पूरी तैयारी के साथ नई तिथि निर्धारित कर दुकानों का चयन किया जायेगा।

बता दे कि बैरिया विकासखंड की ग्राम पंचायत गंगापुर में उमेश यादव की सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकान कुछ समय पूर्व अनियमितता के कारण निरस्त कर दी गई थी। उसकी जगह पर नई दुकान चयन का आदेश उप जिलाधिकारी बैरिया आत्रेय मिश्र ने जारी किया था, जिसका चयन 18 नवंबर को किया जाना था। 

वही ग्राम पंचायत जगदेवा की सुशीला यादव पत्नी श्रीभगवान यादव की सार्वजनिक वितरण प्रणाली दुकान भी निरस्त है। वहां भी 17 नवंबर को खुली बैठक करके नई दुकान का चयन का कार्यक्रम था, किंतु पुलिस विभाग ने आसन्न नगर पंचायत व नगर निकाय चुनाव व कानून व्यवस्था कायम रखने में व्यस्तता बताते हुए उक्त निर्धारित तिथि पर पुलिस फोर्स उपलब्ध कराने में असमर्थता जताते हुए नई तिथि निर्धारित करने का आग्रह उप जिलाधिकारी से किया था। 

पुलिस प्रशासन दुकानों के चयन के समय कोई जोखिम नहीं लेना चाहता। क्योंकि दो वर्ष पूर्व इसी विकासखंड के दुर्जनपुर गांव में कोटे की दुकान के चयन को लेकर हुई बैठक में बड़ा बवाल हुआ था। गोली चली थी। जमकर मारपीट हुई थी। एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। इसके मद्देनजर पुलिस विभाग फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है। 

एसएचओ धर्मवीर सिंह ने बताया कि जब तक पर्याप्त संख्या में फोर्स व हमारे बड़े अधिकारी मौजूद नहीं रहेंगे,  तब तक सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों का चयन कराना ठीक नहीं है। इन दोनों गांव में गोलबंदी है। उच्च न्यायालय में मामला विचाराधीन है। लोगों द्वारा आरोप-प्रत्यारोप व संबंधित अधिकारियों के पास शिकायती पत्र देने का सिलसिला जारी है। 

उप जिलाधिकारी आत्रेय मिश्र का कहना है कि अब नई तिथि नगर पंचायत चुनाव के बाद घोषित की जाएगी। उच्च न्यायालय में दुकान संबंधी मुकदमा विचाराधीन होने की बात है तो इस संबंध में प्रकरण की जांच हेतु आपूर्ति निरीक्षक संजीव कुमार सिंह को रिपोर्ट देने के लिए मैंने आदेश किया है। वही आपूर्ति निरीक्षक का कहना है, कि मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन है, और स्थगन आदेश नहीं है तो नई दुकान का चयन जनहित में किया जा सकता है। उच्च न्यायालय का निर्णय अगर पुराने दुकानदार के पक्ष में आता है, तो नए दुकानदार का लाइसेंस स्वतः निरस्त हो जाता है।

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