बलिया : प्रियंका और शालिनी के जज्बे को सलाम
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बलिया। वैसे तो कोरोना वायरस को भगाने के लिए हर कोई लालायित है। आम जनता घर से बाहर नहीं निकल कर अपना सहयोग दे रही है, तो वहीं मेडिकल स्टाफ पारिवारिक दायित्वों को दरकिनार कर अपने दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं।
दिन रात भी काम करना पड़ा तो पीछे नहीं हटूंगी
कोरोना संदिग्ध की जांच के लिए जो सैंपल लिए जा रहे हैं वह भी कम रिस्की कार्य नहीं है। इसी रिस्क के बीच काम करती हैं माइक्रो बायोलॉजिस्ट ( सूक्ष्म जीव वैज्ञानिक) प्रियंका कुमारी। मूल रूप से पटना की रहने वाली प्रियंका ने बताया कि सैंपल लेने के दौरान संदिग्ध के मुंह और नाक में एक स्टिक लगानी पड़ती है और उसे वीटीएम में डालकर पैक किया जाता है।
यह हाई रिस्क काम पूरी सावधानी के साथ करना पड़ता है। वर्तमान में सुबह से लेकर देर रात तक काम करना पड़ता है। कभी-कभी तो 12 भी बज जाते हैं। घर में अकेली होने के नाते थोड़ी दिक्कत जरूर होती है, लेकिन वर्तमान में इसकी परवाह नहीं। इस समय हमारा पूरा फोकस है कि कोई भी संदिग्ध टेस्ट कराने से छूटे नहीं। इसके लिए दिन-रात भी काम करना पड़ा तो पीछे नहीं हटूंगी।
नौकरी के जरिए जनसेवा का सबसे उचित समय
इस जंग में मेडिकल टीम के अलावा उन कर्मचारियों का भी योगदान महत्वपूर्ण है, जो इस समय अपने ड्यूटी टाइम की परवाह ना करते हुए सुबह से लेकर देर रात तक काम कर रहे हैं। इसी में एक नाम है शालिनी यादव का, जो इंटीग्रेटेड डिस्ट्रिक्ट सर्विलांस प्रोग्राम में बतौर डाटा एंट्री ऑपरेटर काम कर रही है। शालिनी का एक दो वर्ष का बालक भी है। शालिनी ने बताया कि वर्तमान में काम का बोझ ज्यादा है, लेकिन उससे कोई दिक्कत नहीं। बच्चे की देखभाल में थोड़ी परेशानी होती है, पर पति के ऊपर वह जिम्मेदारी छोड़ काम पर ध्यान देना इस समय सबसे जरूरी है। शालिनी का मानना है कि कोई भी नौकरी जनसेवा करने के उद्देश्य से करनी चाहिए और यही उसका सबसे बढ़िया समय है। बताया कि बाहर से आए लोगों को वर्गीकृत करना और कॉल करके जानकारी इकट्ठा करना हमारी टीम का काम है। कोविड-19 के खिलाफ चल रही जंग में अगर कोई भी जिम्मेदारी सौंपी जाएगी तो उसके लिए हमेशा तत्पर रहूंगी।
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