बलिया में शनि प्रदोष पर महर्षि भृगु वैदिक गुरुकुलम् की अनूठी पहल, गंगा किनारे शिवार्चन, आप भी उठाएं लाभ

बलिया में शनि प्रदोष पर महर्षि भृगु वैदिक गुरुकुलम् की अनूठी पहल, गंगा किनारे शिवार्चन, आप भी उठाएं लाभ

बलिया : सदर तहसील क्षेत्र के रामगढ़ (हुकुम छपरा) गंगापुर में संचालित महर्षि भृगु वैदिक गुरुकुलम् जनपद में धर्म की क्रांति के लिए नित्य कार्य कर रहा हैं। गुरुकुल के आचार्य पं. मोहित पाठक द्वारा चलाए जा रहे अनवरत शिवार्चन गंगा आरती गुरुकुल् प्रकल्प के तहत शनिवार को शनि प्रदोष पर आचार्य सहित गुरुकुल के बटुकों द्वारा भव्य रुद्राभिषेक किया गया।

उन्होंने अपने प्रकल्प की जानकारी देते हुए कहा कि शिव और गंगा की सेवा सबको सम्भव होगा। इस क्षेत्र में गंगा और धर्म के प्रति आस्था सदैव बनी रहेगी। हमारे पूज्यगुरुदेव श्री काशी धर्म पीठ के उत्तराधिकारी लखन स्वरूप ब्रह्मचारी जी के मार्गदर्शन से सारे प्रकल्प चलाए जा रहे है। इस प्रकल्प में जो भी जनमानस रुद्राभिषेक या काशी की गंगा आरती करने के इक्षुक होंगे, वो न्यून शुल्क में ही शुद्ध और सात्विक तरीके से रुद्राभिषेक कर सकेंगे। उनको गंगा और शिव की सेवा के साथ ही गुरुकुल में अध्ययनरत बटुको का सेवा का भी लाभ प्राप्त हो सकेगा। 

प्रदोष व्रत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शनिवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है। शनि प्रदोष व्रत करने से जातक को भगवान शिव के साथ शनिदेव की कृपा प्राप्त होने की मान्यता है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है। प्रदोष व्रत में प्रदोष काल के दौरान पूजा का विशेष महत्व होता है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करने से सभी प्रकार के कष्टों का निवारण होता हैं। जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते है।

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माह में दो बार प्रदोष व्रत पड़ता है। एक कृष्ण और दूसरा शुक्ल पक्ष में। साल में कुल 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व होता है। प्रदोष व्रत करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से संतान पक्ष को भी लाभ होता है। इस व्रत को करने से भगवान शंकर और माता पार्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है। प्रदोष व्रत में प्रदोष काल में ही पूजा का महत्व होता है।

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प्रदोष काल संध्या के समय सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले शुरू हो जाता है। कहा जाता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। शनि प्रदोष व्रत के दिन अन्न या अनाज का दान करना अत्यंत शुभ माना गया है। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान शिव की कृपा से धन-धान्य में बढ़ोतरी होती है। साथ ही शनिदेव का आशीष प्राप्त होता है। इस अवसर पर आचार्य शौनक द्विवेदी, राजकुमार उपाध्याय, बिट्टू सिंह, अंगद सिंह आदि लोग उपस्थित रहे।

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