Ballia Education : पाठ्य पुस्तक संतूर के साथ ट्रेनरों ने की शिक्षकों की समझ का विकास



बलिया : योग की धारणा के अनुसार मानव का अस्तित्व पांच भागों में बनता है, जिन्हें पंचकोश कहते हैं। यह कोर्स एक साथ विद्यमान अस्तित्व के विभिन्न स्थल समान होते हैं। विभिन्न कोषों में चेतन, अवचेतन तथा अचेतन मन की अनुभूति होती है। पंचकोश का सिद्धांत तैत्रीय उपनिषद से लिया गया है। यह उपनिषद् जो यजुर्वेद का हिस्सा है, मानव अस्तित्व को पांच परतों या कोषों में वर्णित करता है। अनन्यमय कोश, प्राणमय कोश मनोमय कोश विज्ञानमय कोश और आनंदमय कोश। यह कोई प्रवचन नहीं, बल्कि आधारभूत साक्षरता एवं संख्या ज्ञान पर आधारित पांच दिवसीय प्रशिक्षण के चौथे दिवस ब्लॉक संसाधन केंद्र बेलहरी पर आयोजित प्रशिक्षण में प्रतिभागियों की समझ विकसित करते हुए उक्त बातें पूर्व रिसोर्स पर्सन डॉक्टर शशि भूषण मिश्र द्वारा बताई गई।
बताया कि शैक्षणिक सत्र 2025-26 में कक्षा 3 के अंग्रेजी विषय के लिए नवविकसित पाठ्य पुस्तक संतूर के निर्माण में इंडियन नॉलेज सिस्टम के अंतर्गत इन अवधारणाओं का ध्यान रखा गया है। यह पाठ्य पुस्तक कुल चार इकाइयों में विभक्त है जिसमें कुल 12 पाठ समाहित है। यह पुस्तक शिक्षार्थियों को पाठ से जुड़ने और अपने विचार साझा करने के पर्याप्त अवसर प्रदान करती है ,जिसमें बताया जाता है कि आइए हम पढ़े, आइए हम सोचें,आइए हम बोले, आइए हम सीखें, आइए हम सुने, आइए हम लिखे, आइए हम करें तथा आइए हम खोजें। भारतीय ज्ञान परंपरा शिक्षार्थी को भाषा अधिग्रहण की प्रक्रिया में मदद करता है।
साथ ही उनके आत्मविश्वास के स्तर को भी बढ़ाता है। इस प्रशिक्षण में प्रतिभागियों को पाठ्य पुस्तक की इकाई बार समझ का विकास किए जाने के दृष्टिगत पहली इकाई, जिसमें दोस्तों के साथ मस्ती की बात की गई है। वहीं पर दूसरी इकाई में खेल और खिलौने की बात की गई है। जबकि तीसरी इकाई में अच्छे भोजन से संबंधित बातें और चौथी इकाई में आकाश के संबंध में बच्चों की समझ का विकास किया गया है। अंग्रेजी की पुस्तक होने के साथ ही यह पुस्तक अंतर विषयक परिकल्पना को परिमार्जित करती है।
जिसमें बच्चे अच्छे दोस्त, बगीचे, बोलते खिलौने, कागज की नाव, लड्डू की परिकल्पना, ईश्वर को धन्यवाद, रात की परिभाषा, चांद तथा तारों के बारे में सोचना समझना एवं चंद्रयान तक की गतिविधियों से परिचित हो जाएंगे। ब्लॉक संसाधन केंद्र पर आयोजित इस प्रशिक्षण में एकेडमिक रिसोर्स पर्सन ब्रजेश बिहारी सिंह, केआरपी के रूप में डॉ शशि भूषण मिश्र, आशुतोष कुमार ओझा, राजीव कुमार दुबे संतोष कुमार द्वारा गुणवत्तापूर्ण शिक्षण करते हुए प्रशिक्षण को चार चांद लगाया जा रहा है।

Comments