श्रेष्ठ मानी गई हैं चतुर्थी युक्त तृतीया हरितालिका व्रत : ज्योतिषाचार्य डॉ अखिलेश उपाध्याय



बलिया : हरितालिका तीज व्रत 26 अगस्त दिन मंगलवार को है। जब तक तृतीया तिथि है, तब तक ही पूजन का कार्य संपन्न करना चाहिए ऐसा नहीं है। चतुर्थी युक्त तृतीया हरितालिका व्रत में श्रेष्ठ मानी गई है। पूजन का कार्य दोपहर बाद अपरान्ह काल व उसके बाद और सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में ही पूजन का कार्य करें और पारण बुधवार को प्रातः सूर्योदय के बाद करें।
व्रत में उद्यापन में स्नान व दान में उदया तिथि का महत्व होता है।तत्र चतुर्थीसंहिता या तु सा तृतीया फलप्रदा। अवैधव्याकारा स्त्रीणां पुत्रपौत्रप्रवर्धिनी।।
इंदरपुर थम्हनपुरा बलिया निवासी ज्योतिषाचार्य डॉ अखिलेश कुमार उपाध्याय ने बताया कि हरतालिका दो शब्दों के मेल से बना है। हरत एवं आलिका। हरत का तात्पर्य हरण से लिया जाता है और आलिका सखियों को संबोधित करता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन सखियां माता पार्वती की सहेलियां उनका हरण कर उन्हें जंगल में ले गई थी जहां माता पार्वती ने भगवान शिव को वर रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था।
ज्योतिषाचार्य डॉ अखिलेश कुमार उपाध्याय बताते है कि तृतीया तिथि को तीज भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि शिवलिंग माता पार्वती द्वारा हस्त नक्षत्र में भाद्रपद शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि को स्थापित किया था। इसी कारण इस दिन को हरितालिका (तीज के रूप में मनाया जाता है)। विधि विधान से हरितालिका तीज का व्रत करने से कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर की प्राप्ति होती है। वही विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य मिलता है। सुखद दांपत्य जीवन और मनचाहा वर प्राप्ति के लिए यह व्रत विशेष फलदाई है।

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