नीदरलैंड से 133 साल बाद वतन लौटे परिवार ने बलिया में तलाशे अपने पुरखे, लेकिन...



बलिया : जिले का एक परिवार 133 साल बाद नीदरलैंड से अपने गांव लौटा। स्वदेश आने पर परिवार के लोगों ने अयोध्या में राम लला के मंदिर में दर्शन पूजन किया। फिर अपने गांव पहुंचा। हालांकि वतन लौटे परिवार को पूर्वजों को तलाशने का प्रयास विफल हो गया और परिवार को निराश होकर लौटना पड़ा।
बताया जा रहा है कि वर्ष 1892 में बलिया के सीयर गांव (अब बेल्थरारोड कस्बा) के रहने वाले सुंदर प्रसाद को 35 वर्ष की उम्र में अंग्रेज अपने साथ सूरीनाम ले गए थे। सुंदर के साथ उनकी पत्नी अनुरजिया बिहारी और तीन साल का बेटा भी गया था। यह सभी लोग अंग्रेजों के साथ पहले बेल्थरारोड रेलवे स्टेशन से कोलकाता गए। फिर जलमार्ग से सूरीनाम भेजे गए। अंग्रेजों ने सुंदर से वादा किया था कि वहां उनके परिवार को महल में रखा जाएगा। लेकिन परिवार से सूरीनाम में मजदूरी करवाई गई। उसके बाद अंग्रेजों ने उन्हें नीदरलैंड भेज दिया।
सुंदर के वंशज जितेंद्र छत्ता 09 अगस्त 2025 को अपनी पत्नी शारदा रामसुख, पुत्री ऐश्वर्या और पुत्र शंकर के साथ दिल्ली पहुंचे।
परिवार के लोग अयोध्या में रामलला का दर्शन करने के बाद अपने पूर्वजों की धरती बेल्थरारोड पहुंचे, लेकिन उनके परिवार का कोई नहीं मिला। जितेंद्र छत्ता डिफ्ट साउथ हालैंड में मेंबर आफ सुपरवाइजिंग बोर्ड पद पर हैं। जितेंद्र ने बताया कि नीदरलैंड में मजदूरी करते-करते सुंदर की सात साल बाद मौत हो गई। उसके एक साल बाद उनकी पत्नी भी गुजर गईं। सिर्फ उनका बेटा बचा था, जिसने संघर्ष कर हम लोगों को इस मुकाम पर पहुंचाया।
सुंदर के बेटे का नाम दुखी था। परिवार ने बताया कि उनके बेटे कल्याण, फिर पृथ्वीराज और उसके बाद धर्मराज ने परिवार को आगे बढ़ाया। जितेंद्र की पुत्री ऐश्वर्या ने बताया कि पहली बार भारत आए हैं, बहुत खुशी हो रही है। हमारे घर में राम की पूजा होती है। अयोध्या में रामलला के दर्शन से जीवन धन्य हो गया। परिवार इस बात से निराश है कि पुरखों की माटी तो मिली, लेकिन परिवार से जुड़े लोगों से भेंट न हो सका।

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