बलिया का एक और प्राथमिक विद्यालय हुआ निपुण, Certificate के लिए किया आवेदन
Ballia News : कौन कहता है आसमां में सुराग नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों...! इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है शिक्षा क्षेत्र सीयर के प्राथमिक विद्यालय मुजौना के शिक्षकों ने। यह सीयर ब्लॉक का पहला स्कूल है, जो निपुण होने जा रहा है। बच्चों के भाषा व गणित में निपुण होने के बाद प्रमाण पत्र के लिए आवेदन कर दिया गया है।
मुजौना का यह प्राथमिक विद्यालय मात्र दो कमरों में चलता है और यहां प्रभारी प्रधानाध्यापिका श्रीमती नेहा यादव के अलावा एक सहायक अध्यापक राजेश जायसवाल की तैनाती हैं। दोनों मिलकर कक्षा एक से पांच तक के बच्चों को पढ़ाते हैं। गांव के पूर्व प्रधान व वर्तमान में ब्लॉक प्रमुख आलोक कुमार सिंह ने स्कूल का कायाकल्प किया है। यहां स्मार्ट क्लास से लेकर अन्य आधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं। स्कूल के कक्षा एक से तीन तक के सभी बच्चे निपुण हो गए हैं। इसकी पुष्टि पिछले दिनों विद्यालय के निरीक्षण के दौरान डाइट मेंटर अविनाश सिंह, जिला समन्वयक (प्रशिक्षण) ओपी सिंह के अलावा अकादमिक रिसोर्स पर्सनों द्वारा की जा चुकी है।
यह है निपुण भारत लक्ष्य
भाषा
कक्षा : 1 - अर्थ के साथ पढ़ लेते है। ऐसे छोटे वाक्य जो आयु के अनुसार किसी अज्ञात पाठ का भाग हो, जिसमे 4-5 सरल शब्द हों, पढ़ लेते हैं।
कक्षा : 2 - अर्थ के साथ पढ़ लेते हैं। 45 - 60 शब्द प्रति मिनट की प्रवाह से पढ़ लेते हैं।
कक्षा : 3 - अर्थ के साथ पढ़ लेते हैं। न्यूनतम 60 शब्द प्रति मिनट की प्रवाह से पढ़ लेते है।
गणित
कक्षा : 1 - 99 तक की संख्याएं पढ़ एवं लिख लेते हैं। सरल जोड़ और घटाव कर लेते हैं।
कक्षा : 2 - 999 तक की संख्यायें पढ़ और लिख लेते हैं। 99 तक की संख्याओं का घटाव कर लेते हैं।
कक्षा : 3 - 9999 तक की संख्यायें पढ़ और लिख लेते हैं । सरल गुणा समस्याओं को हल कर लेते हैं।
नोट: विद्यालयों के शत-प्रतिशत बच्चों द्वारा वर्ष 2026-27 तक यह लक्ष्य प्राप्त करना है।
शिक्षकों के विद्यालय व बच्चों के प्रति समर्पण की भावना की वजह से कक्षा तीन तक के सभी छात्र निपुण हो चुके हैं। प्रमाण पत्र के लिए बेसिक शिक्षा अधिकारी को लिखा गया है। उनकी ओर से एसेसमेंट कराया जा रहा है। इस विद्यालय के शिक्षकों से प्रेरणा लेकर क्षेत्र के अन्य स्कूलों को निपुण के लिये स्वघोषणा करनी चाहिए।
राकेश सिंह, खंड शिक्षा अधिकारी, सीयर
विद्यालय के शिक्षक बच्चों को स्वयं करके सीखने का मौका देते हैं। उनसे रचनात्मक कार्य जैसे मिट्टी से कलाकृति बनाना, पोस्टर कार्य, प्रोजेक्ट वर्क, पेंटिंग, रंगोली आदि गतिविधियों के माध्यम से कराते हैं। इन्हें अभिभावकों के समक्ष प्रदर्शित भी किया जाता है। दोनों शिक्षकों के प्रयास से विद्यालय लगभग निपुण हो चुका है।
देवेन्द्र कुमार वर्मा एआरपी, सीयर
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