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Read More... बसंत पंचमी : बागेश्वरी भगवती वाणी में ओज भर दो, शब्दों में शक्ति आए...
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By Purvanchal 24
Basant Panchami : बसंत पंचमी शांति, संस्कृति एवं शिक्षा का महापर्व है। यह प्रकृति के सौंदर्य, नई शुरुआत और सकारात्मकता का उत्सव भी है। इस दिन देवी सरस्वती की पूजा से मन में शांति और ज्ञान का संचार होता है।... शीतकालीन अवकाश के बाद बलिया के शिक्षक ने कुछ यूं किया बच्चों का स्वागत
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By Purvanchal 24
शीतकालीन अवकाश के बाद बच्चों का स्वागतजब भी सरसों फूल आते हैं, जनवरी के माह में !प्यारे गीत निकल आते है चलते हुए उस माह में चहक चहक चहकते आते खग पक्षी इस गांव में 'प्यारे गीत निकल... वादा तुझे निभाना ही था...
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By Purvanchal 24
बारिश ! तुमको आना ही था गर्मी ने था खूब सतायाउमस पसीना खूब बहायाजीव-जन्तुओं को तड़पायाजमकर अपना रंग दिखाया एकदिन उसको जाना ही थाबारिश ! तुमको आना ही था। धरती मां का हृदय जुड़ायापत्ता-पत्ता धुला... बहुत दिनों बाद बलिया की डॉ. मिथिलेश को अमूल्य निधि से मिला 'सोना ही सोना'
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By Purvanchal 24
बहुत दिनों बाद कुछ लिखने का मन हुआ, किंतु तमाम कोशिश के बाद भी कोई विषय नहीं मिला तो मैं अमूल्य निधि रामायण को लिया और मुझे मिला...सोना ही सोना जब पड़ा अकाल जनकपुर मेंनृप ने सोने का... तुम न उनसे हार जाना...
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By Purvanchal 24
तुम न उनसे हार जानाराह में अगणित भले अवरोध आयेंरोक देने को तुझे प्रतिरोध आयेंभौंह टेढ़ी कर प्रचण्ड विरोध आयेंतमतमाये लाल पीले क्रोध आयें किन्तु रण में पीठ अपनी न दिखानातुम न उनसे हार जाना।... वो तुम्हारे तोड़ने की जिद थी, ये हमारे जोड़ने की जिद है...
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By Purvanchal 24
जोड़ने की जिद पता नहीं क्योंमुझे बार-बारतोड़ा गयापत्थर सेफोड़ा गयाऔर बनाकर मेरेनन्हें-नन्हें टुकड़ेफेंक दिया गयादूर-दूर तक, ताकिधूप में सूख जाऊँशीत में गल जाऊँधूल में मिल जाऊँ; हुआ कुछ अलग,... निगहबान आंखों की, वो बात पुरानी थी...
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By Purvanchal 24
वो बात पुरानी थी लोग मिलते हैं आजकल,एक दूजे से कभी,पर आत्मीयता की, वो बात पुरानी थी। मिलते भी हैं जो, सच्चे मन से कहीं, पर निश्चल, निर्मल भाव की, वो बात पुरानी थी। कहीं बिगड़ेंगे कहीं,तो... Teacher's composition : रात इकाई, नींद दहाई, ख्वाब सैकड़ा, दर्द हजार...
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By Purvanchal 24
रात इकाई, नींद दहाईख्वाब सैकड़ा, दर्द हजारजियो सरलता से ये जीवननहीं है मिलता बारम्बार कुछ पाना है गर दुनिया मेंकिए जा मेहनत, हो आबादखुद का साया भी दिखता हैखिली धूप आने के बाद कोई... खुल कर मैं बोलूं, अलि सा डोलूं, पर वो हरदम
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By Purvanchal 24
छंद-त्रिभंगी सृजन शब्द-अभिलाषा 10, 8, 8, 6 मन की अभिलाषा, कैसी भाषा, मूक रहे पर, कह जाए।नयनों से बोलें, मुख कब खोलें, चंचल चितवन, तरसाए।।है विटप लता सी, यौवन दासी, अधर गुलाबी, मुसकाए। है नैन कटीले, अंग सजीले,... 
