आज फादर्स यानी बाबूजी के अपडेट वर्जन खातिर खास दिन ह

आज फादर्स यानी बाबूजी के अपडेट वर्जन खातिर खास दिन ह

पापा-मम्मी अउरी बाबूजी-माई के बीच वाला जेनरेशन में जनम लिहल आ पलल-बढ़ल लाेगन के दरद अलगे हाेला। ऊ 80-90 के दशक रहल। घर में बाबूजी-माई बहरी निकलते पापा-मम्मी हाे जात रहल लाेग। घर के संगे हितई (रिश्तेदारी) अउर समाज खातिर हर रिश्ता के अलग-अलग डिक्शनरी बनत रहे। हं, एगाे बात रहल, उ नाता न त बनावटी रहल, ना ही नाम बदलला से ओकर कबाे अहमियत कम हाेत रहे। हमहू ओही जेनरेशन के उपज हईं। 

पापा, डैडी, पिताजी या फिर बाबूजी... कुछऊ कहीं, एह से बाप-बेटा के लगाव कम ना हाेखेला। हम अपना पिताजी यानी पापा के आजीवन चाचा कहत रहनी। हमहीं ना, हमार बड़ भाई अउर बहिन भी। ई संयुक्त परिवार के असर रहे। हमार बाबूजी अपना तीन भाई में सबसे छाेट रहलन। बड़का बाबूजी के लईका लाेग उनका चाचा कहे लाेग, त हमनियाे के सुनि के उहे बाेले लगनी जा। माई के भी चाची कहत रहनी जा, लेकिन ऊ ठाेक-बजा के आपन रिश्ता सुधार लिहली। बात रहल पिताजी के, त ऊ कबहू ई ना कहि सकलन कि हमरा के चाचा ना, पापा या पिताजी कहल लाेग। आज जब कवनाे बच्चा बाेलल शुरू करेला, तब माई-बाबू के इहे ललसा रहेला कि पहिले पापा बाेलाे या मम्मी। 

हमरा पड़ाेस में एगाे भईया रहलन। उनकर बाबूजी परदेस में नाेकरी करत रहल। उनकर छाेट भाई अउर बहिन माई-बाबू के संगे रहत रहे लाेग। उ परिवार के अउरी लाेगन के संगे गांव में रहत रहलन। पढ़ाई-लिखाई भी हाेत रहे। जब कुछ दिन बाद आईल लाेग त छाेट भाई-बहिन मम्मी-पापा कहत रहे लाे। ऊ बाबूजी-माई पर अझुराइल रहलन। उनका ठीक ना लागे। पहिले समझावे के काेशिश कइलन, बाकिर बात ना बनल। एक दिन दुपहरिया में दुनाें भाई-बहिन के गली में माने इकाेरा ले जाके बढ़िया से धुलाई कई दिहलन। तहिया से छाेटकाे भाई-बहिन बाबूजी-माई पर आ गइल लाे। जिनगी भर खातिर पापा-मम्मी के भूत उतर गइल।

आज फादर्स यानी बाबूजी के अपडेट वर्जन खातिर खास दिन ह। साेशल मीडिया के बांह पकड़कर बाबूजी के प्यार हवा में अधे राति से उड़ रहल बा, लेकिन एकर झंकाेरा भी बाबूजी तक नइखे पहुंचत। शहर के एगाे सामाजिक कार्यकर्ता से बात हाेत रहल। उ एगाे पुरनिया के दशा बतावत रहलन। पुरनिया के बेटा विदेश में नाेकरी करत बा। कुछ दिन पहले पुरनिया के माैत हाे गईल, ताे उनकर बेटा विदेश से फाेन क के अंतिम संस्कार करे के कहलन। अपना ना आवे के कई गाे मजबूरी बता के अंतिम संस्कार के खर्च भेज दिहलन। अभी ई शुरुआत ह। आवे वाला समय अउर डरावना हाेखे जा रहल बा।

यह भी पढ़े बलिया : ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र जारी करने के लिए लेखपाल पर 'घूस' मांगने का आरोप, होगी जांच

HappyFathersDay 
#𝓭𝓱𝓪𝓷𝓪𝓷𝓳𝓪𝔂, Ballia

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