बलिया : ऑनलाइन हाजिरी के विरोध में राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के साथ इन संगठनों ने दिखाई एकजुटता, देखें Video
बलिया : राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ (प्राथमिक संवर्ग) की जनपद इकाई द्वारा प्रदेशीय नेतृत्व के आह्वान पर जिला संयोजक राजेश कुमार सिंह के नेतृत्व में जनपद के हजारों शिक्षकों के साथ डिजिटाइजेशन व ऑनलाइन उपस्थिति के विरोध में मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी, बलिया के माध्यम से प्रेषित किया गया। इस अवसर पर जनपद के तमाम शिक्षक संगठनों ने एक मंच पर आकर इस मुहिम में अपना समर्थन दिया।
जिला संयोजक राजेश कुमार सिंह ने कहा कि महानिदेशक स्कूल शिक्षा द्वारा 15 जुलाई से ऑनलाइन उपस्थिति का आदेश निर्गत किया गया था। जिसके विरोध में राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ द्वारा दिनांक 8 जुलाई को विरोध करने का निर्णय लिया गया था, जिसके फलस्वरूप महानिदेशक द्वारा तानाशाही पूर्ण रवैया अपनाते हुए शिक्षकों की आवाज़ को दबाने की मंशा से अपने पूर्व के आदेश को संशोधित करते हुए दिनांक 8 जुलाई से ही ऑनलाइन उपस्थिति का आदेश निर्गत कर दिया गया जो कि उनकी हठधर्मिता एवं संवेदनहीनता को दर्शाता है।
विभागीय उच्चाधिकारी वातानुकूलित कक्ष में बैठकर बिना जमीनी हक़ीक़त जाने ही इस प्रकार के अव्यवहारिक एवं तुगलकी फरमान जारी करते रहते हैं, जिनमें आने वाली व्यावहारिक समस्याओं को दूर किए बिना उस पर अमल कर पाना संभव ही नहीं है। श्री सिंह ने कहा कि अगर अध्यापकों की समस्याओं का पूर्ण समाधान किए बिना ही ऑनलाइन उपस्थिति का आदेश जबरन थोपा जाता है तो प्रदेश के लाखों अध्यापक एकजुट होकर प्रचंड आंदोलन करने को बाध्य होंगे।
सहसंयोजक प्रमोद कुमार सिंह ने कहा कि प्रदेशीय नेतृत्व द्वारा कई बार महानिदेशक स्कूल शिक्षा को ज्ञापन सौंप कर डिजिटाइजेशन से जुड़ी मौलिक समस्याओं के निस्तारण की मांग की गई थी तथा 14 मार्च 2024 को महानिदेशक स्कूल शिक्षा कार्यालय में धरना भी किया गया था। तब महानिदेशक द्वारा संगठन के प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया गया था कि डिजिटाइजेशन से जुड़ी मौलिक समस्याओं के निस्तारण के पश्चात ही इसे लागू किया जाएगा परन्तु उच्चाधिकारियों द्वारा इन मांगों पर कोई विचार नहीं किया गया। इस तानाशाहपूर्ण रवैए से आम शिक्षकों की भावनाएं आहत हुई हैं।
जिला सदस्यता प्रभारी अकीलुर्रहमान खान ने बताया कि विभागीय अधिकारी दमनपूर्वक ऑनलाइन उपस्थिति की व्यवस्था लागू करना चाहते हैं, जो अमानवीय दृष्टिकोण को दर्शाता है। शासन को सबसे पहले ऑनलाइन उपस्थिति आदेश करने से पूर्व प्रदेश के सभी विद्यालयों का सर्वे कराना चाहिए उसके उपरांत समस्त मूलभूत समस्याओं को देखते हुए उनका सम्पूर्ण समाधान निकालना चाहिए तब कहीं जाकर ऑनलाइन उपस्थिति के बारे में विचार करना न्यायोचित होगा। बिना सर्वे किए इस तरह के मनमाने फरमान जारी करने से समस्त शिक्षक समाज स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
शिक्षकों में शासन व विभाग के प्रति व्यापक आक्रोश व भय का माहौल व्याप्त है। विभाग में वर्षों से अंतःजनपदीय स्थानांतरण एवं पदोन्नति की प्रक्रिया केवल कागजों में ही घूम रहा है। सुदूर ब्लॉकों में कुछ ऐसे भी विद्यालय हैं जिनको नदी पार करके जाना पड़ता है, कुछ विद्यालय पहाड़ी क्षेत्रों में अवस्थित हैं, कुछ विद्यालयों के रास्ते कच्चे मार्ग से होकर गुजरते हैं इत्यादि सभी प्रकार की समस्याओं का विभाग पहले समाधान निकाले उसके उपरांत ही डिजिटाइजेशन की व्यवस्था लागू होनी चाहिए।
ज्ञापन सौंपने वालों में उप्र प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष अजय सिंह, महिला शिक्षक संघ की अध्यक्ष अन्नू सिंह, राज्यकर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष राजेश पाण्डेय, श्रमिक समन्वय समिति के अध्यक्ष अजय सिंह, अटेवा जिलाध्यक्ष समीर कुमार पाण्डेय, रामआशीष यादव, कविता सिंह, मंदाकिनी द्विवेदी, पुष्पेंद्र सिंह, ज्ञान प्रकाश उपाध्याय, अमरेंद्र सिंह, कृष्णा नंद पांडेय, राजीव सिंह, रजनीश चौबे, शुभम प्रताप सिंह, ओंकारनाथ सिंह, अमित यादव, राजेश सिंह, धर्मेंद्र गुप्ता, राकेश मौर्य,संजीव कुमार सिंह, विनय राय,संजय पाण्डेय, पंकज कुमार सिंह,कर्ण प्रताप सिंह, अभिषेक सिंह, गणेश यादव, संतोष गुप्ता, मुकेश सिंह, सुदीप तिवारी, अखिलेश कुमार, डाo विनय भारद्वाज, शीतांशु वर्मा, नीतीश राय, अंकुर द्विवेदी, अभिषेक तिवारी, कुलभूषण तिवारी, रोहित सिंह, उत्कर्ष सिंह, सर्वेश वर्मा, प्रवीण राय, विजेंद्रनाथ पांडेय, मृदुल पांडेय, श्वेतांश, आनंद यादव, ओमप्रकाश सिंह, अभिमन्यु कुमार, मुमताज, विंध्याचल सिंह, सुमित ओझा, मिंटू यादव, संजीत कुमार, अनीता सिंह, नीतू सिंह, सविता सिंह, अमरेश चतुर्वेदी, मुन्नू पासवान, आलोक कुशवाहा, मनीष बरनवाल, जितेंद्र गोंड, अभिनव गुप्ता, उमेश राय, कृष्णमोहन यादव, महेश यादव, सुधीर सिंह एवं नवीन दुबे सहित जनपद के हजारों शिक्षक साथी उपस्थित रहे।
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