बलिया : भूपेन्द्र का खून और जून
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रेवती, बलिया। रेवती थाना क्षेत्र के दुर्जनपुर गांव में शुक्रवार को तड़के भूपेन्द्र हत्याकांड की मुख्य वजह पुरानी रंजिश ही उभर कर सामने आ रही है। यही नहीं, इस हत्याकांड में जून माह भी अहम हो गया है। बताया जा रहा है कि 18 जून 2008 को भगवती सिंह के बेटे सिंटू को चाकू से गोद कर हत्या की गई थी। मामले में चार नामजद में मृतक भूपेंद्र मुख्य आरोपी था। कोर्ट से उसे सजा भी हुई थी। करीब पांच वर्ष जेल में रहने के बाद वह हाई कोर्ट से जमानत लेकर तीन वर्षो से गांव पर ही रह रहा था। इस बीच, जून में ही भूपेन्द्र की हत्या ने 12 वर्ष पुरानी यादें ताजा कर दी है।
घटना के बाद से दुर्जनपुर तथा नरायणगढ़ गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। घटना के सम्बन्ध में ताज्जुब की बात यह है कि भूपेन्द्र को पहली गोली बदमाशों ने प्राथमिक विद्यालय के समीप स्थित डेयरी के पास मारी, जहां से मृतक चिल्लाते हुए बचाने की गुहार लगाकर भागा। घनी आबादी के बीच करीब 150 मीटर से अधिक की दूरी तक मृतक भागते हुए मां शायर जगदम्बा मन्दिर के दूसरे गेट पर पहुंचा, वहां बदमाशों ने उसे दूसरी गोली मारी और उसकी मौत हो गयी। उधर, भूपेन्द्र की मौत की खबर जैसे ही मृतक की पत्नी ममता को मिली, वह बेहोश होकर गिर पड़ी। होश में आते ही ममता अपने पति को खोज रही थी।उधर दो वर्ष की एक नन्हीं जान मृतक की पुत्री संध्या को क्या पता कि उसके सर से पिता का छाया उठ चुका है। वह लोगों को रोते देख रोते-रोते चुप हो जा रही थी। पिता श्रीराम कुर्मी पर तो मानों दुःखों का पहाड़ ही टूट गया है।
पुष्पेंद्र तिवारी 'सिन्धु'
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