बलिया की रफ्तार निर्भय !




बलिया : जवना के क्लिष्टता सरलता में विलक्षण सामंजस्य बा-ठीक आचार्य रघुनाथ शर्मा के संस्कृत वांग्मय-अस दुरूह, बाकिर उन्हुका शख्सियते नियर सहज-सरल। बलिया को लेकर यह टिप्पणी बलिया के ही प्रख्यात साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी की है। यह तो एक साहित्यकार की नजर में बलिया की पहचान है, पर राजनीतिक नजर में बलिया की क्लिष्टता यानि मुश्किल भरा जीवन, जीना ही बलिया की नियति है।
और ऐसा इसलिए है कि हमारा नुमाइंदा कुछ करता नहीं और हम तरक्की के लिए लड़ते नहीं। बस बलिया अपने गति से चलता है और हम बलियाटिक अपने इतिहास पर मूछें बढ़ाने के अलावे कुछ कर नहीं पाते। अब मुद्दे की बात पर आता हूँ। बीते कुछ सालों से बलिया, यात्री रेल और स्टेशन के नवीनी करण को लेकर खुशहाल है। यह हमारी सुविधा के लिए अच्छी बात है, पर कभी हमने सोचा कि यह अच्छी बात कहाँ से निकली है?
उत्तर रेलवे का मुख्यालय, नई दिल्ली के बड़ोदा हाउस में है, जहां संयोगवश या बलिया के भाग्य के बहाने निर्भय नारायण सिंह मुख्य यात्री परिवहन प्रबन्धक हैं। दिल्ली या अन्य जगह से चलकर जो यात्री रेल वाराणसी आयेगी, उसके परिचालन के प्रबन्धन की जिम्मेदारी पद के अनुसार श्री निर्भय जी के जिम्मे है। अब सवाल यह है कि निर्भय नारायण का हम जिक्र क्यों कर रहे हैं? इसलिए कि ये अधिकारी बलिया के बैरिया विधान सभा के रहने वाले हैं। यह परिचय ही बताती है कि वराणसी बलिया छपरा मार्ग में यात्री रेल की संख्या कैसे बढ़ी।
बलिया के राजनीतिक हलके मे श्रेय लेने की होड़ पुरानी है। आज जो भी नई यात्री रेल बलिया से होकर गुजर रही है, बताने वाले बताते हैं कि यह मेरा प्रयास है, जबकि छान बीन मे पता चला कि यह सारी उपलब्धि अधिकारी स्तर पर निर्भय नारायण सिंह की है।
एक ताजा उदाहरण से समझिये-छपरा से सुबह 7.55 पर एक पसिंजर गाड़ी नम्बर 75101 चलती है, जो बलिया होते हुए औड़िहार आती थी, अब उसे नया नम्बर 05163 देकर सारनाथ तक कर दिया गया है।
सुनने में यह साधारण बात हो सकती है, पर एक सवाल के जवाब मे निर्भय सिंह ने जो कहा वह एक साधारण सोंच का बड़ा आदमी ही कह सकता है। औड़िहार से उतरने या पकड़ने के लिए वाराणसी जाने वाले यात्री को 100 से 120 रुपये खर्च करने होते थे, अब यह खर्च आने जाने का 20 से 25 रुपया होगा। अगर बलिया के 500 सवारी प्रतिदिन यात्रा करते हैं तो महीने में बलिया के यात्री की बचत 15 लाख महीने की होगी और साल मे 1 करोड़ 80 लाख।एक छोटा सा प्रयास बलिया की जनता को इतना बचत देता है तो सही में कहा जायेगा कि बलिया का समय अच्छा है और ऐसा तभी संभव है कि ऐसा प्रयास किसी अच्छे व्यक्ति द्वारा हो और मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि निर्भय नारायण सिंह एक अच्छे और नेक दिल आदमी हैं।
साभार : भरत चतुर्वेदी की फेसबुकवाल से


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