सनबीम स्कूल बलिया के सितारों ने अन्तरराष्ट्रीय फलक पर बिखेरी अपनी चमक

सनबीम स्कूल बलिया के सितारों ने अन्तरराष्ट्रीय फलक पर बिखेरी अपनी चमक

बलिया। सनबीम स्कूल बलिया के लिए गौरवशाली क्षण है, क्योंकि स्कूल के 15 छात्रों ने स्वर्ण पदक हासिल कर अन्तरराष्ट्रीय पटल पर एक नया वेंच मार्क स्थापित किया है। सनबीम स्कूल हमेशा से ही छात्रों के सर्वांगीण विकास को प्राथमिकता देता आया है। यही कारण है कि जीवन के हर क्षेत्र में चाहे शिक्षा हो, खेलकूद अथवा प्रतियोगी स्पर्धा, सनबीम स्कूल के छात्रों का ही डंका बजता है। 

हिन्दी भाषा की प्रभावशीलता के सन्दर्भ में भारतेंदु हरिश्चंद्र द्वारा कथित यह उक्ति सर्वथा उचित प्रतीत होती है - 

निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल,
बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटन न हिय के सूल।

वर्तमान समय में अंग्रेजी के बढ़ते प्रभाव के कारण आज छात्रों में हिंदी भाषा के प्रति रुझान घटता दिख रहा है। ऐसे समय में बच्चों में भाषा के प्रति लगाव को बढ़ाने, मानव जीवन में भाषा की उपयोगिता को समझाने तथा विश्व पटल पर हिंदी को स्थान दिलाने के लिए प्रति वर्ष दिल्ली स्थित हिंदी विकास संस्थान द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कक्षा प्रथम से बारहवीं तक के बच्चों के लिए 'हिंदी ओलंपियाड' का आयोजन कराया जाता है। जिसमे उनकी आयु के अनुसार भाषा (व्याकरण) से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं।

इस वर्ष भी 23 अगस्त 2022 को यह ओलंपियाड आयोजित किया गया था, जिसमें सनबीम स्कूल बलिया के कक्षा प्रथम से दसवीं तक के विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया था। परीक्षा परिणाम 8 नवंबर को घोषित होते ही सनबीम स्कूल बलिया में खुशी की लहर दौड़ गयी। इस ओलंपियाड में सनबीम के 15 बच्चों ने स्वर्ण पदक तथा कक्षा 10वीं की अनामिका सिंह को स्वर्ण पदक सहित राष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान से भी सम्मानित किया गया है।

विद्यार्थियों की इस अद्भूत सफलता से विद्यालय परिवार में गौरवांवित है। विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष संजय कुमार पांडेय तथा सचिव अरूण कुमार सिंह ने विद्यार्थियों को शुभकामनाए देते हुए कहा कि विद्यार्थी ही हिंदी भाषा को उच्च शिखर पर मुकाम दिला सकते हैं। उन्हें विभिन्न विषयों के साथ-साथ भाषा के प्रति अपने भीतर प्रेम जगाए रखना है।

विद्यालय निदेशक डॉ कुँवर अरूण सिंह ने कहा कि बलिया की पावन धरती ने अनेकों श्रेष्ठ साहित्यकारों को जन्म दिया है। आज भी यहां की माटी में इतनी प्रतिभा छुपी है कि और अनेकों साहित्यकार उभर कर आ सकते हैं। बस जरुरत है उन्हें पहचानने और प्रोत्साहित करने की और यह कार्य हमारे शिक्षकों द्वारा बखूबी किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि विद्यालय में सदैव ही समस्त विषयों को समान प्राथमिकता दी जाती है चाहें वो गणित हो, विज्ञान हो, भाषा हो या कला। आज बच्चों में इंजीनियर और डॉक्टर बनने की होड़ इतनी बढ़ गई है कि उनमें भाषा के प्रति लगाव घट सा गया है। ऐसी प्रतियोगिताएं बच्चों में अपनी मातृभाषा के प्रति प्रेम को बढ़ाएंगी और उनकी प्रतिभा को उभारने में मील का पत्थर साबित होंगी। 

विद्यालय की प्रधानाचार्या डॉ अर्पिता सिंह ने समस्त प्रतिभागियों को बधाई देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। कहा कि विद्यार्थियों और उनके मार्गदर्शक अध्यापकों की मेहनत का प्रतिफल है, जो विद्यार्थियों को समस्त प्रतियोगिताओं में उच्च शिखर पर ले जाता है। उन्होंने बच्चों को भविष्य में और मेहनत कर अच्छा परिणाम लाने के लिए प्रेरित किया।





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