बलिया के इस पत्रकार को याद आई हंसी न रुकने वाली यादें
पत्रकारिता वर्षों से हो रही है। कवरेज की बातें भी अक्सर याद आती हैं। हम 'द बर्निंग ट्रेन' फ़िल्म की नहीं, बल्कि हकीकत लिख रहे हैं। जब टीआरपी ( टेलीविजन रेटिंग पॉइंट) की ललक हुआ करती थी। बलिया रेलवे स्टेशन से सागरपाली रेलवे स्टेशन के बीच मऊ पैसेंजर में आग लगी थी। खबर मिलते ही पत्रकारों ने रुख कर दिया। टेलीविजन की खबर भी बड़े शौक से लोग देखा करते थे। हालांकि उस दौर में 'सहारा समय' रीजनल चैनल का टीआरपी अच्छा था। संवाददाता हरिनारायण मिश्र (रंजीत) के पैर में चोट था। मैं उन्हें घर छोड़ने जा रहा था, तभी बर्निंग ट्रेन की खबर मिली। IBN 7 के संवाददाता सुधीर तिवारी थे। मौके पर चलचित्र खींचते हुए पहुंच गए। लाइव विजुअल का टीवी में बहुत महत्व रहता है। हालांकि अब हर हाथ में मोबाइल है। लाइव वीडियो मिल जा रहा है। उस समय सोनी का कैमरा, पैनासोनिक थ्री सीसीडी का कैमरा चलता था। 'आज तक' के संवाददाता अनिल अकेला जी के पास तो बड़ा कैमरा था। वहीं STAR NEWS अब ABP हुआ है, जिसके संवाददाता बड़े भाई अजय भारती भी पहुंचे थे।
कवरेज बहुत अच्छा रहा लेकिन...
कवरेज में कोई कमी नहीं थी। जनपद के सभी टीवी पत्रकार मौके पर पहुंचे। आधिकारिक पुष्टि माने रखती है। ऐसे में BYTE (बयान) पैसेंजर ट्रेन के गार्ड से भी हो चुका था। अंधेरा होने लगा था। उसी बीच TRP (टेलीविजन रेटिंग पॉइंट) के चक्कर में दो पत्रकार लग गए, ताकि हम लोग पहले खबर भेज दें। सहारा समय के टीवी पत्रकारिता में माहिर हरिनारायण मिश्र (रंजीत) ने कहा कि आप लोग गॉर्ड का बाइट लेकर आइये। यानी मैं और बड़े भाई अजय भारती (उस समय Star News अब ABP) गार्ड को खोजते हुए अंधेरा में चल दिये। जबकि अच्छी तरह पता था कि बाइट हो चुकी है। फिर सम्मान में बातों का ख्याल कर बाइट लेने चल दिये। हरिनारायण (सहारा समय) सुधीर तिवारी ( IBN 7) को लेकर चल दिये।
जब पेंच फंसा FTP के लिए, हंसी नहीं रुकी
उन दिनों खबर FTP द्वारा भेजने की अभी नई शुरुआत हुई थी। (file transfer protocol) एफटीपी एक तरह का नेटवर्क प्रोटोकॉल है, जो की फ़ाइलों को इधर से उधर भेजने के काम में आता है। अगर हमें फ़ाइल को एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर में भेजना है तो इसमे हम इंटरनेट का भी इस्तेमाल करते हैं। एफटीपी की मदद से हम अपने डाटा को शेयर करते हैं और ऑफिसों में भी इसका काफी इस्तेमाल होता है। एफ़टीपी इस तरह से फ़ाइलों को शेयर करने की पहली तकनीकी थी। वहीं हरिनारायण और सुधीर तिवारी पहुंचें तो पेंच फंस गया। दरअसल उक्त तकनीकी के बारे में हिमांशु साइबर कैफे वाले को पता था। थोड़ी सी जानकारी 'आज तक' अनिल अकेला को थी। वो अपने होशियारी में लग चुके थे। परन्तु कोई कम नही था। जो ftp के जानकार हिमांशु जी थे, उन्हें अजय भारती (ABP) ने अपने साथ रखा था। हम लोगों को तो गार्ड के बाइट हेतु छोड़ दिया गया था। ऐसे में दोनों टीवी के माहिर पत्रकार हरिनारायण (रंजीत) सुधीर तिवारी पहुंच कर इंतजार कर रहे थे। पीछे से हम अजय भारती, हिमांशु जी पहुंचे तो नजारा बदलते हुए दिखा था। वह भी क्या दौर रहा। अनुशासन के बीच रहकर पत्रकारिता रही। वही कवरेज याद आया, जिसे लिखने को दिल में आ गया।
रिजर्व में थी बाइक रसड़ा से बलिया आते ही हुई मेन में
एक बड़ी खबर रसड़ा की आ गई थी। टीवी में हम लोग गिने चुने लोग थे। मनोज चतुर्वेदी ( INDIA TV ) अनिल अकेला (आज तक) और मैं 'आंखों देखी ' में था। टीवी पत्रकार हरिनारायण और सुधीर जी उस खबर को भेज दिये थे। चुकी कैसेट ही भेजना था। गाजीपुर से बनारस कैसेट हरिनारायण ने भेज दिया। मनोज चतुर्वेदी जी ने अपनी बाइक दी कि अकेला भाई आप और नरेंद्र जी रसड़ा चले जाइये। अब बस बाद में... चुकी हंसी आ गई। अकेला भाई आज तक ने कमाल किया था। आगे भी कुछ यादें आप सब के बीच लिखते रहेंगे। इन्ही शब्द के साथ नमस्कार।
नरेन्द्र मिश्र, वरिष्ठ पत्रकार, बलिया
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