गजल
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फूल हूं...  तासीर मेरी तितलियों से पूछना

फूल हूं...  तासीर मेरी तितलियों से पूछना ग़ज़ल कब कहा मैंने किसी क़तरे से कुछ ज़्यादा हूँ मैंहाँ,  मगर सूखे  हुए दरिया से तो अच्छा हूँ  मैं शहर में आया हुआ  हूँ ... गाँव का बन्दा हूँ मैंया कहूँ कि भीड़ में बिछडा हुआ बच्चा...
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गजल 

बागी धरती से निकली आवाज 'फेर लो मुंह तोड़ लो रिश्ते...'

बागी धरती से निकली आवाज 'फेर लो मुंह तोड़ लो रिश्ते...' फेर लो मुंह तोड़ लो रिश्ते सभी बाजार से इश्क करना सीख लो, घर के दरो-दीवारों से घर को दोजख मत कहो, घर ही बचाएगा तुम्हें धूप से, लू से, कोरोना वायरस से रेस ये बिल्कुल अलहदा किस्म की है...
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