मौत से अच्छी नहीं है दिल्लगी... वायरल हुई बलिया के शिक्षक की
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दोस्तो,घर में रहों
दोस्तो, समझो नज़ाकत वक़्त की :घर में रहो !
मौत से अच्छी नहीं है दिल्लगी : घर में रहो !
घर से बाहर पांव रखते ही झुलस जाओगे तुम
हर तरफ़, देखो, लगी है आग-सी :घर में रहो !
वो किसी मंदिर को जाती हो कि मस्जिद को, मियां,
पुर ख़तर है इन दिनों हर इक गली :घर में रहो !
रोक लो रफ़्तार अपनी, कुछ दिनों के वास्ते
डाल लो ठहराव की आदत नयी :घर में रहो !
लूट लो ढलती जवानी में लड़कपन के मज़े...
खेलकर आपस में फिर अन्ताक्षरी :घर में रहो !
हौसला रक्खो 'शशी', बस कुछ दिनों की बात है,
बीत जाएगा ये दौर-ए-बेबसी : घर में रहो !"
शशी प्रेमदेव, शिक्षक एवं साहित्यकार बलिया
Tags: बलिया


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