बदलना चाहती है स्त्री, स्त्री होने की परिभाषा

बदलना चाहती है स्त्री, स्त्री होने की परिभाषा

 

भर रही आज साहस, पंखों पर है प्रत्याशा
बदलना चाहती है स्त्री, स्त्री होने की परिभाषा

झाड़ रही है धूल जो जमी थी समूची सहस्राब्दी पर
खुद के सृजन का मार्ग अब वो कर रही है आसां

खप जाये न दीवारों में दमित इच्छाओं का रंग
हृदयों पर उभरे नाम यही हृदय की अभिलाषा

न आगे बहुत, न पददलित कर पीछे करने का रिवाज
परस्पर समान भाव हो बस इतनी सी है आशा

न सहेगी साजिशें... पैदा होने के पहले की
जन्म पर अपने काटेगी हर चेहरे की निराशा

निशा के आवरण में कोई बूंद फिर न बिखरे
सम्बन्धों की परिधि में नित गढ़ती मुखर भाषा

अस्तित्व पर अब तक पड़े पर्दे हटा रही है
स्थायी अपने हित करती वक्त का हर पाशा

शालिनी श्रीवास्तव

Post Comments

Comments

Latest News

बलिया में भीषण सड़क हादसा, एक छात्र की मौत ; आधा दर्जन से अधिक छात्र गंभीर बलिया में भीषण सड़क हादसा, एक छात्र की मौत ; आधा दर्जन से अधिक छात्र गंभीर
Ballia : फेफना थाना क्षेत्र अंतर्गत कपूरी एवं टाटा मोटर्स के बीच खड़े ट्रक में पिकअप ने जोरदार टक्कर मार...
27 जुलाई 2024 : क्या कहते हैं आपके सितारे, पढ़ें दैनिक राशिफल
इन मांगों के समर्थन में छात्रों ने जेएनसीयू परिसर में बुलंद किया आवाज
ओह ! सरयू की लहरों ने क्या कर दिया बलिया के इस दियरांचल का हाल
रोहित पांडेय हत्याकांड : बलिया पुलिस को मिली सफलता, 25 हजारी दो अभियुक्त गिरफ्तार
26 जुलाई 2024 : क्या कहते हैं आपके सितारे, पढ़ें दैनिक राशिफल
जानिएं कौन हैं IPS विक्रांत वीर, जिन्हें बनाया गया है बलिया का पुलिस कप्तान