मां मंदिर, मां पूजा और मां ही तीर्थ... बच्चों ने मां को कुछ इस अंदाज में किया Wish
By Bhola Prasad
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बलिया। मां के समर्पण का स्वरूप इतना विराट है कि यदि पूरी जिंदगी समर्पित कर दी जाए तो भी उसके कर्ज को नहीं उतारा जा सकता। मां ही वह सत्ता है, जो कहने को इंसान होती है पर उसका दर्जा भगवान से कहीं कम नहीं होता। मां मंदिर है, पूजा है और तीर्थ भी है। दुनिया में मां से बढ़कर कोई इंसानी रिश्ता नहीं होता, यही वजह है उसके साथ बिताए दिन सभी के लिए सुखद एहसास होते हैं। लॉक डाउन के बीच मातृ दिवस पर संतानों के ऐसे ही एहसासों के साथ Purvanchal24 आपके बीच है।
दुनिया से जाने के कई माध्यम हो सकते हैं, परन्तु दुनिया में आने का एकमात्र माध्यम है मां। मेरी मां मेरी दोस्त है। मां कौशल से ही मैं अपने व्यक्तित्व को निखार सका हूं।
शंकर कुमार रावत, शिक्षक
सिकन्दरपुर, बलिया
शंकर कुमार रावत
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तेरे बारे में क्या लिखूं मां, मैं खुद तेरी लिखावट हूं।
बीके पाठक, शिक्षक
नगवां-बलिया
बीके पाठक
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यह पेंटिंग तृप्ति पांडेय ने प्रेषित की है। मिड्ढ़ा निवासी श्रवण कुमार पांडेय की पुत्री फिनिक्स इंटरनेशनल स्कूल, अगरसंडा में 8वीं की छात्रा है।
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रुलाया न कर अब मुझे ऐ जिन्दगी, मुझे चुप कराने वाली मेरी मां अब नहीं है।
मो. महमूद, शिक्षक
कुशीनगर
मो. महमूद
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वन्दना, छात्रा, सिकन्दरपुर-बलिया
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निशा वर्मा
कक्षा 10
गंगोत्री देवी इंटर कॉलेज सिकंदरपुर-बलिया
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आराध्या गुप्ता
कक्षा 7
गंगोत्री देवी इंटर कॉलेज सिकंदरपुर-बलिया
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अभिषेक शर्मा
कक्षा 7
गंगोत्री देवी इंटर कॉलेज सिकंदरपुर बलिया
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