
गंगा की तरह तमाम चुनौतियों, विरोधाभाषों को सहेजते हुए सदियों से अविरल है हिन्दी : डॉ. जनार्दन राय


Ballia News : हिन्दी भले ही भारत के सबसे ज्यादा राज्यों में बोली जाती हो, लेकिन इसको अभी तक अभिजात्य वर्ग की भाषा का दर्जा नहीं मिला है। फिर भी हिन्दी, गंगा की तरह तमाम चुनौतियों, विरोधाभाषों को सहेजते हुए सदियों से अविरल है। उक्त बातें जनपद के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. जर्नादन राय ने रविवार को काशीपुर मिश्र नेउरी स्थित 'कवि कुटी' पर आयोजित हिन्दी पखवाड़ा के दौरान कही।
डॉ. राय ने कहा कि व्यक्ति की आवाज तभी तक सुनाई देती है, जब तक वह बोलता है। लेकिन वही बात तथ्य और आलेख जब भाषा और साहित्य के रूप में लिखी जाती है, तब वह अमरत्व को प्राप्त कर जाती है। खेद है कि हम आजाद हो गये, परन्तु आजादी की भाषा का आज तक उल्लेख नहीं हुआ। लेकिन भारत का जनमानस यह स्वीकार कर लिया है कि कोई भाषा, जो राष्ट्र का नेतृत्व कर सकती है वह हिन्दी ही है। गोष्ठी का शुभारम्भ परमात्मानंद तिवारी की सरस्वती वंदना से किया गया। इस दौरान हरिकिशोर सिंह, शिवबच्चन सिंह, पियूष पांडेय, कुमार अभिजीत 'अंकित' इत्यादि मौजूद रहे।
Related Posts






Post Comments
Latest News

Comments