बारी बारी देख चुका सरकार हमारी भी सुनो हूजूर।

बारी बारी देख चुका सरकार हमारी भी सुनो हूजूर।

 

रसड़ा (बलिया): उत्तर प्रदेश सड़क परिवहन विभाग का स्थानीय बस अड्डा प्रशासनिक व राजनीतिक उपेक्षा का शिकार होकर  अस्तित्व बचाने के लिए आंसू बहाते हुए संघर्ष कर रहा है। इसकी दुर्दशा देखकर क्षेत्रीय लोगों सहित आम यात्रियों में  जबर्दस्त आक्रोश है। गंदगी और दुर्व्यवस्था इस स्टेशन की पुरानी पंरपरा में शुमार है।



वर्षों से इसकी साफ-सफाई न होने से यह बस अड्डा धीरे-धीरे जंगल का रूप धारण कर अस्तित्व खोने की दहलीज पर आ खड़ा हुआ है। इस संबंध में क्षेत्रीय लोगों ने अपने विचार कुछ इस अंदाज में बयां किया।  रवि कुमार आर्य  ने कहा कि इस बस अड्डा से विभाग को प्रतिमाह लाखों की आमदनी होती है किंतु जन विभागीय उदासीनता के चलते यह बस अड्डा अपने दुर्भाग्य पर वर्षों से आंसू बहा रहा है।


संजीव कुमार सिंह ने कहा कि वर्षों से यह स्टेशन परिसर में गंदगी का अंबार व आवारा पशुओं का चारागाह बनकर रह गया है जिसके कारण  यात्री स्टेशन परिसर में नहीं जा पाता  पूर्व सरकार के मंत्री व वर्तमान  योगी सरकार के परिवहन मंत्री ने इस बस अड्डा के कायाकल्प का आश्वासन दिया था सबका साथ, सबका विकास के तहत इस सरकारी बस स्टैंड का विकास होगा किन्तु यह मूर्त रूप कब लेगा यह तो वक्त ही बतायेगा।



सजपा के जिला अध्यक्ष बलवंत सिंह ने कहा कि इस बस अड्डा के बदहाली के जिम्मेदारी अधिकारियों व  कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई करते हुए इस बस अड्डा को आदर्श बस अड्डा बनाये जाने की मांग की ताकि यह सरकारी बस स्टेशन अपनी खोई  गरिमा को पुन: प्राप्त कर सके। समाजसेवी अवधेश सिंह ने कहा कि यह दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि लाखों की आबादी का प्रतिनित्व करने वाला जनपद का सबसे पुराना रसड़ा क्षेत्र का बस अड्डा अपनी दुर्दशा पर बारी,बारी, सरकार के बदलाव के बाद भी  आंसू बहा रहा है। यहां पर आलम यह कि गंदगी के कारण एक भी यात्री परिसर में जाना मुनासिब नहीं समझता जिसके कारण यह बस अड्डा धीरे-धीरे अपने अस्तित्व को खोता चला जा रहा है।

हालांकि की अखण्ड भारत न्यूज़ ने सम्बंधित अधिकारियों को बार बार खबर के माध्यम से ध्यान आकृष्ट कराया गया मगर अधिकारी व जनप्रतिनिधि कुंभ कर्णीय नींद से कब जागेंगे कोई बताने को तैयार नहीं ।            राज और नीति में भोली भाली जनता तो इस उम्मीद से अपना मत देती है कि इलाके का विकास हो मगर दुर्भाग्य ही कहा जायेगा घोसी लोकसभा विकास पुरुष स्व कल्पनाथ राय के मरने के बाद घोसी लोकसभा संसदीय क्षेत्र से 1999मे बसपा से बालकृष्ण चौहान ,2004 में चन्द्र देव राजभर समाजवादी पार्टी से,2009 में दारा सिंह चौहान सांसद रहे 2014 में भारतीय जनता पार्टी से हरिनारायण राजभर सांसद हुए बारी बारी सभी सासंदों ने भोली भाली जनता का शोषण कर सता का सुख भोग रहे हैं उन्हीं में से फिर वही दिल लाया हूं के तर्ज पर दो घोसी लोकसभा संसदीय क्षेत्र से चुनाव मैदान में प्रत्याशियों ने  नामांकन पत्र दाखिल कर चुके हैं ।


रिपोर्ट पिन्टू सिंह 

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