बलिया : जान गंवाकर चुकानी पड़ी लॉकडाउन में 'घर' पहुंचने की कीमत, मचा कोहराम

बलिया : जान गंवाकर चुकानी पड़ी लॉकडाउन में 'घर' पहुंचने की कीमत, मचा कोहराम

              बेसुध पड़ी पत्नी धनवा देवी

मनियर, बलिया। उत्तरांचल के लाल कुंआ नैनीताल से पैदल चलकर घर आने की कीमत एक मजदूर ठेकेदार को अपनी जान गंवा कर चुकानी पड़ी। मृतक के दो पुत्रों में बड़ा बेटा मनोज यादव (20) लाक डाउन में कर्नाटक के बंगलौर शहर में फंसा है। दूसरा धर्मेंद्र 12 वर्ष का है, जो पिता को मुखाग्नि दी। वही, पत्नी धनवा देवी का रो-रो कर बुरा हाल है।

मनियर थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत दिघेड़ा अंतर्गत गौराबंगही निवासी श्याम बहादुर यादव (55) पुत्र केदार यादव अक्सर मजदूरों को लेकर उत्तरांचल के लाल कुंआ जाते थे। वहां मजदूर नदी से रेता, बजरी निकालते थे। इस वर्ष भी वह कुछ मजदूरों को लेकर होली के दो दिन बाद गए थे। वहां लाल कुंआ के गोला गेट नैनीताल में मजदूरों के साथ थे। नदी में ज्यादा पानी होने के कारण काम बंद था, लिहाजा मजदूर गेहूं की कटिया कर किसी तरह जीविका चलाते थे। इसके बाद नदी का पानी कम होने पर मुश्किल से चार रोज काम किए थे, तब तक लाक डाउन हो गया।  

        पिता को मुखाग्नि देने वाला पुत्र धर्मेंद्र 

फिर वहां से वे अपने साथ गए करीब 10 मजदूरों के साथ पैदल निकल पड़े। छःमजदूर आगे निकल गए थे। उनके साथ चार मजदूर थे। तीन दिन बाद करीब 100 किलोमीटर की यात्रा तय कर पीलीभीत पहुंचे। उनके साथ आये दया राजभर निवासी गौरी शाहपुर मठिया ने बताया कि बिना खाए पिए चाय और बिस्कुट के सहारे यह यात्रा इन लोगों ने पूरी की थी। बीच रास्ते में ही पीलीभीत के पास श्याम बहादुर यादव को पैरालाइसिस हो गया। उनके साथ चल रहे मजदूरों ने इसकी सूचना परिजनों को दी। 


परिजन उत्तर प्रदेश विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता रामगोविंद चौधरी से संपर्क कर सहयोग की मांग की। उनकी पहल पर किसी स्थानीय नेता के सहयोग से उन्हें पीलीभीत जिला अस्पताल पर भर्ती कराया गया। सिर्फ दया राजभर को वहां के प्रशासन ने श्याम बहादुर के साथ रहने को कहा,  बाकी लोगों को वहीं क्वॉरेंटाइन कर दिया गया। वहां से उन्हें बरेली बेहतर इलाज के लिए रेफर कर दिया गया। वहां स्थिति में सुधार न होने  पर  एंबुलेंस कर उन्हें रविवार को घर लाया गया। गुरुवार को के उनकी मौत हो गई। 

वीरेन्द्र सिंह

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