'बालाश्रय' के मंच से सनबीम बलिया के छात्रों ने बढ़ाया साहित्य सृजन का पहला कदम

'बालाश्रय' के मंच से सनबीम बलिया के छात्रों ने बढ़ाया साहित्य सृजन का पहला कदम

बलिया। लेखन के माध्यम से ना केवल व्यक्ति के ज्ञान क्षेत्र का विस्तार होता है, वरन् तार्किक और सृजनात्मक कौशल विकसित करने का एक सशक्त माध्यम भी है। एक लेखक विविध प्रकार की सामग्री एवं भिन्न-भिन्न विषयों के संबंध में न केवल लेखन के आधार पर जानकारी प्राप्त करता है, बल्कि अपने भावों तथा विचारों को भी लिपिबद्ध करने की योग्यता अर्जित करता है। ज्ञानात्मक एवं भावात्मक सामग्री का गहन अध्ययन तथा संबंधित विचारों की स्थायी अभिव्यक्ति की कुशलता लेखन के माध्यम से ही संभव है।


लेखन-कौशल को एक छात्र में विकसित करने में अध्ययन एवं अध्यापन का अत्यंत ही महत्वपूर्ण योगदान होता है। बाल मन अत्यंत कल्पनाशील होता है। उसे मात्र उचित दिशा निर्देश तथा प्रोत्साहन की आवश्यकता होती है ,शेष उड़ान वह स्वयं ही सुनियोजित कर लेता है। कुछ ऐसी ही उड़ान भर स्वयं  को साबित करने का प्रयास सनबीम स्कूल बलिया के छात्रों क्रमशः कक्षा दसवीं से संस्कृति सिंह, सर्वकृतिका सिंह एवम कक्षा एकादश से विनय कुमार ठाकुर तथा विवेक चौबे ने किया है।

ज्ञात हो कि प्रबुद्धम पब्लिकेशन की तरफ से "बालाश्रय" एक ऐसा मंच है जो पूरे देश भर से उभरते लेखकों की रचनाओं को आमंत्रित करता है और चयनित रचनाओं का संकलन कर पुस्तक का संपादन किया जाता है। पब्लिकेशन हाउस द्वारा इस वर्ष भी  देशभर के छात्रों से उनकी कृतियां आमंत्रित की गई थी  जिसमें छात्रों द्वारा लिखित कहानी, कविता, निबंध आदि प्रकाशित किया गया है। इसी क्रम में सनबीम बलिया  के अंग्रेजी एवम हिंदी के अध्यापकों ने भी अपने छात्रों को प्रोत्साहित एवं दिशानिर्देशित कर अपने विद्यालय के छात्रों की कृतियां हिंदी एवम अंग्रेजी में  पब्लिकेशन हाउस को भेजी। इसमें विद्यालय के चार छात्रों की कृतियों क्रमशः लघुकथा, कविता,तथा उत्तम छात्र के गुण विषय पर आलेख को स्थान प्राप्त हुआ।

इस संदर्भ में विद्यालय के निदेशक डॉ. कुँवर अरुण सिंह ने छात्रों की इस अभूतपूर्व उपलब्धि के लिए बधाई एवं उज्वल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि सनबीम परिवार सदैव अपने छात्रों के कौशल को नई दिशा देने के प्रयास में तत्पर रहा है। इस प्रयास के जीवंत उदाहरण हमारे छात्र हैं जिन्होंने इतने कम उम्र में यह उपलब्धि हासिल कर ली। लेखन से छात्रों मे ना सिर्फ एकाग्रता, चिन्तन और रचनात्मक कौशल विकसित होता है वरन् उन्हें राष्ट्र, समाज, परिवार और सहपाठियों के प्रति संवेदनशील भी बनाता है। छात्रों को प्रोत्साहित एवं उचित मार्गदर्शन प्रदान करने वाले भाषा विषय के अध्यापकों क्रमशः विशाखा सिंह, मोनिका दुबे, अमीता रॉय, राजेश विक्रम सिंह का योगदान प्रशंसनीय रहा।


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