नहीं थम रहा मौत का सिलसिलाः गौशाला में एक और बछड़े ने तोड़ा दम

नहीं थम रहा मौत का सिलसिलाः गौशाला में एक और बछड़े ने तोड़ा दम

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मनियर, बलिया। आदर्श नगर पंचायत मनियर के कान्हा पशु आश्रय ;गौशालाद्ध में रखे गए बछड़ों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा । चारा के अभाव में कालकवलित हुये तीन बछड़े की मौत की अंत्य परीक्षण रिपोर्ट आने से पहले ही गौरा बगहीं में गुरुवार को एक अन्य बछड़े ने भी दम तोड़ दिया । इसकी पुष्टि नगर पंचायत मनियर के ईओ संजय कुमार राव ने की। लेकिन इस मामले को उच्च अधिकारियों से बिना अवगत कराये पीएम को भेज दिया। बछड़े कि मौत की जानकारी के बावत एसडीएम बांसडीह अन्नपूर्णा गर्ग ने अनभिज्ञता जाहिर की। ईओ ने बताया घटना के 4 दिन बाद उक्त बछड़े ने भी बृहस्पतिवार की सुबह दम तोड़ दिया ।उस बछड़े का भी पीएम कराया जा रहा है। विदित हो कि विगत रविवार के दिन तीन बछड़ों की मौत एवं एक बछड़े की मौत से जूझने का समाचार क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया था।

गौरतलब हो कि रविवार को गौशाला में तीन बछड़े के मौत सुचना के तत्काल बाद मौके पर पहुंचे तहसीलदार बांसडीह पंडित शिव सागर दूबे ने चारा के अभाव व लापरवाही में मरने व खामियों को लेकर नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी संजय राव को जमकर फटकार लगायी व मामले से उच्चधिकारियों से अवगत कराया। जिस पर नगर पंचायत ने तत्काल मौके पर पहुंचकर बछड़ों के भोजन पानी एवं रखरखाव की व्यवस्था की।तथा मौके पर पहुंची एसडीएम बांसडीह ने पशु चिकित्सा विभाग के डाक्टरों को सही पीएम रिपोर्ट भेजने की चेतावनी दी थी।  डाक्टरों को बछड़ों पर बराबर निगरानी किये जाने की हिदायत दी तीन बछड़ों की मौत का मामला अभी थमा नहीं कि  4 दिन बाद गुरुवार की सुबह एक और बछड़े ने दम तोड़ दिया। एक बछड़े की फिर हुई मौत के बाबत पूछे जाने पर उपजिलाधिकारी बाँसड़ीह अन्नपूर्णा गर्ग ने कहा कि उन्हें अबतक ऐसी कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई है। ऐसे में यक्ष प्रश्न ये है कि ऐसे संवेदनशील मामले में जब उच्चाधिकारी मामले को देख रहे हो और स्थिति का संज्ञान ले रहे हो, उस स्थिति में भी जिम्मेदारों द्वारा उच्चाधिकारियों को स्थिति से अवगत नहीं कराया जाना किसी घोर लापरवाही की ओर संकेत करता है। 

वहीं जब ईओ मनियर से यह जानने का प्रयास किया गया कि अबतक गौशाला में कुल कितने बछड़ों की मौत हुई है तो उन्होंने कहा कि गौशाला में कितने बछड़े है इसका रिकाँर्ड तो है मगर चार बछड़ों के ही मौत का रिकार्ड उनके पास है। इसके पूर्व के बछड़ों की मौत की खबरों के बाबत उन्होंने रिकार्ड न होने का हवाला देकर चुप्पी साध ली। आसपास के लोगों की मानें तो नगर पंचायत के जिम्मेदारों के संज्ञान में एक बड़ा खेल जारी है सूत्रों के माने तो बछड़ों की मौत के बाद उसका टैग निकालकर बछड़े के शव का जलप्रवाह कर दिया जाता है और उसके टैग को किसी अन्य बछड़े को पकड़ कर पहना दिया जाता है जिससे बछड़ों की संख्या यथावत बनी रहती है और मौतों की संख्या आंकड़ों में दर्ज नहीं हो पाती। ऐसे में बड़ा सवाल यह भी है कि अगर इसीतरह सबकुघ्छ चलता रहा तो क्या मौतों का ये सिलसिला कभी थम भी पाएगा या नहीं?

रिपोर्ट- राममिलन तिवारी

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