इसे परीक्षा ही नहीं, एक संदेश भी समझें : बलिया के वरिष्ठ पत्रकार की मार्मिक अपील
हर परीक्षा केवल परीक्षा ही नहीं हाेती, एक बड़ा संदेश भी देती है। यह संदेश खासकर युवाओं के लिए हैं। यूपी के विभिन्न जिलाें में हाल में खत्म हुई पुलिस भर्ती परीक्षा के दाैरान केंद्राें का हाल देखकर ताे यही समझ में आया। तमाम परेशानियों को झेलते हुए परीक्षा केंद्रों तक आपके साथ-साथ आपके अपने भी पहुंचे थे। परीक्षा में सफल हाेंगे, ताे आपकी नौकरी लग जायेगी।
जाहिर हैं आपने भी बहुत परिश्रम किया है। परीक्षा की तैयारी में दिन-रात एक कर दिया। इसमें सरकार ने पारदर्शिता के साथ परीक्षा को सफल बनाने की हर संभव कोशिश की, ताकि पिछली परीक्षा की तरह कहीं से कोई कमी न रह जाए, अन्यथा परीक्षा कैंसिल हो सकती थी। शासन-प्रशासन की चौकसी रही, बहुत ही सराहनीय व सकुशल परीक्षा संपन्न हुई।
परिवार में जब युवक-युवती बड़े होते हैं, तो निश्चित ही चिंता का विषय बन जाता है। यह चिंता उनके भविष्य काे लेकर हाेती है। हर अभिभावक चाहता है कि घर के बच्चे पढ़- लिखकर बड़ा अधिकारी बनें। लेकिन सब उस जगह तक नहीं पहुंच पाते। बात हम वर्तमान में उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती परीक्षा की कर रहे हैं। शायद समाज पुलिस भर्ती परीक्षा में शामिल उन परीक्षार्थियों से निवेदन कर रहा है। बड़ी मेहनत से साथ लेकर आए हैं।
आगे चलने से पहले एक बार पीछे मुड़कर जरूर देख लेना। पुलिस भर्ती परीक्षा के जरिए प्रदेश सरकार अपना विश्वसनीय अंग आपको बना रही है। और परिवार वाले भी कम नहीं, उसी उम्मीद पर दिल में लड्डू फूट रहा है। मेरा बेटा, मेरी बेटी उत्तर प्रदेश पुलिस में नौकरी करेंगे। क्योंकि, यह परीक्षा कैंसिल नहीं होगी।
शासन-प्रशासन ने बड़ी कोशिश की तब सफल परीक्षा का आयोजन हुआ। चप्पे-चप्पे पर पुलिस के जवान, ट्रेनों की अतिरिक्त व्यवस्था,सरकारी बसों से निःशुल्क परीक्षा के लिए जाना, अपने आप में सरकार द्वारा बहुत बड़ा सहयोग कहा जा सकता है। लेकिन, इतना के बावजूद अगर एक पुलिस आरक्षी एक परिवार को मिलता है, बिल्कुल परिवार अपनी खुशी का बखान करता रहेगा।
समाज पुनः आग्रह कर रहा है, आगे चलने से पहले एक बार पीछे मुड़ कर देख लें। संकेत यह है कि जब आप पुलिस परीक्षा देने गए, अपनों को बहुत उम्मीद लगी है, साथ-साथ गए। अागे भी वे साथ रहेंगे, तभी जीवन की असली सफलता आपको महसूस होगी। तभी आपका परिवार खुशहाल रहेगा। समाज में ऐसा करें जिससे लोग आपका नाम लें।
नरेन्द्र मिश्र, वरिष्ठ पत्रकार, बलिया (उ.प्र.)
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