‘बलिया’ को फतह करने को ‘सपा’ का जातिय चक्रव्यूह

‘बलिया’ को फतह करने को ‘सपा’ का जातिय चक्रव्यूह


बलिया । लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने और दो चरणों का मतदान सम्पन्न होने के उपरांत भी गठबंधन (सपा व बसपा) द्वारा उम्मीदवार की घोषणा को लेकर हो रही लेटलतीफी किसी व्यूह रचना की ओर परोक्ष एवं अपरोक्ष रुप से इशारा कर रही है। कारण कि ‘यादम’ (यादव+दलित+मुस्लिम) को साधने के बाद गठबंधन की नजरें अगड़ी जाति के वोटरों पर है। ता
कि सपा के लिए नाक की सवाल बनी बलिया लोकसभा सीट को पुनः पार्टी की झोली में डाला जाये।हालांकि इसके लिए एक ओर जहां धार्मिक व सांप्रादायिक आधार पर वोट सेट करने जंग छिड़ी है तो दूसरी ओर सर्वमान्य व जातिय आधार पर जिताऊ उम्मीदवार की सपा तलाश कर रही है। ताकि येन-केन-प्राकरेण विजय श्री को अपनी झोली में डाला जा सके। बलिया जनपद की प्रतिष्ठात्मक बलिया लोक सभा सीट के लिए वैसे तो सभी राजनीतिक पार्टियां एड़ी-चोटी का जोर लगाये हुए है। लेकिन इस सीट पर लम्बे अरसे तक समाजवादियों का दबदबा रहा है।


 साथ ही इसी सीट से जीतकर चन्द्रशेखर ने देश के प्रधानमंत्री के ओहदे को सुशोभित किया है, लेकिन फिलवक्त यहां भगवा ब्रिगेड का कब्जा है। जिसे हटाने के लए समाजवादी पार्टी का आलाकमान जातिय चक्रव्यूह की रचना करने में जुटा है। समाजवादी पार्टी के सूत्रों की माने तो पार्टी हाईकमान ने बलिया की सीट को अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना दिया है। इसी के लिए पार्टी द्वारा अब तक तीन बार गोपनीय सर्वे भी कराया जा चुका है। ताकि सम्भावित टिकटार्थियों की जमीन को टटोला जा सके। सूत्र बताते है कि इस रेस में समाजसेवी अजीत मिश्रा का नाम सबसे ऊपर चल रहा है। कारण कि बिना किसी ओहदे और पोलिटकल पावर के अजीत ने दमदारी आमजन की लड़ाई लड़ी। इतना ही नहीं जनसरोकार से जुड़े मुद्दों को लेकर पूर्व में एक तत्कालीन कबीना मंत्री से और वर्तमान में स्थानीय सांसद की मुखालफत करने में उन्होंने तनिक विलम्ब नहीं किया।साथ ही सर्व सुलभ और सहजता से लोगों के लिए उपलब्ध रहने वाले अजीत मृदभाषी स्वभवाभ के कारण हरदिल अजीज है।

सूत्र बताते है कि पार्टी द्वारा कराये गये गोपनीय सर्वे से प्राप्त आंकड़ो के मुताबिक पार्टी आलाकमान बलिया लोकसभा सीट की सियासी बिसात  पर जातिगत मोहरे को सेट करने की जुगत में है। उसके मुताबिक पार्टी के पास अल्पसंख्यक अर्थात मुसलमान एवं यादव बिरादरी का पक्का वोट बैंक है और बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन के उपरांत दलित वोटर भी पार्टी के झंडे के नीचे खड़े नजर आ रहे है। ऐसे में भूमिहार बहुल इस लोकसभा सीट पर पार्टी नेतृत्व भूमिहार बिरादरी के ही किसी नेता को बतौर प्रत्याशी मैदान में उतारना चाह रहा है। इसी सांचे में भूमिहार बिरादरी के अजीत फिट बैठते नजर आ रहे है।


 बताते है कि इसके अलावा दूसरे विकल्प के तौर पर पार्टी ब्राह्मण बिरादरी को अपनी रिजर्व बेंच बनाये हुए है। क्योंकि पार्टी के थिंक टैंक का मानना है कि भारतीय जनता पार्टी द्वारा यहां ठाकुर बिरादरी का उम्मीदवार मैदान में उतारा है। ऐसे में ब्राह्मण बिरादरी के साथ डीएमवाई यानि दलित, मुसलमान और यादव बिरादरी का कम्बिनेशन विजय श्री दिलाने में सफल रहेगा। इस रेस में पूर्व विधायक व दर्जा प्राप्त मंत्री सनातन पांडेय तथा पिछड़ी बिरादरी से सलेमपुर के सांसद रमाशंकर विद्यार्थी, पार्टी के जिलाध्यक्ष संग्राम सिंह यादव रेस में है। इसके अलावा पार्टी के राज्य सभा संासद नीरज शेखर भी हार मानने को तैयार नहीं है। बावजूद इसके  यह कहना अनुचित ना होगा कि जातिय आधार पर सपा द्वारा बिछाई जा रही बिसात भाजपा के लिए खतरे की घंटी सरीखा है।

By-Ajit Ojha

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