राष्ट्रपति भवन में '1942 : बलिया की क्रांति' का जिक्र कर चर्चा में आये धर्मराज, साहित्य जगत गदगद
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Ballia News : जनपद बलिया हमेशा से प्रतिभाशाली सन्तानों की जननी रही है। आज भी जीवन का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं, जिसमें नयी-नयी प्रतिभाएं उभर कर सामने न आ रही हों। मनियर ब्लॉक स्थित चोरकैण्ड गांव निवासी 22 वर्षीय युवा लेखक धर्मराज गुप्ता, जिनकी पहली ही पुस्तक याद करूँ तो...1942 बलिया की क्रान्ति जिसे पिछले वर्ष 'नेशनल बुक ट्रस्ट ने प्रकाशित की है, भी उन्हीं में से एक हैं।
स्वतंत्रता आन्दोलन में बलिया के महत्वपूर्ण योगदान को रेखांकित करती इस कृति के प्रकाशित होते ही सरल स्वभाव वाले मृदुभाषी धर्मराज अचानक चर्चा में आ गये। गत रविवार को दिल्ली पुस्तक मेला 2024 के तहत, नेशनल बुक ट्रस्ट ने 'प्रधानमंत्री युवा लेखन योजना' में चयनित सभी युवा लेखकों का महामहिम राष्ट्रपति के साथ राष्ट्रपति भवन में मिलने का एक कार्यक्रम रखा था, जिसमें सहभागिता करके धर्मराज कल ही दिल्ली से लौटे हैं।
उन गौरवशाली क्षणों को शेयर करते हुए श्री गुप्ता ने बताया कि जब उन्होंने सन् बयालीस में महात्मा गांधी के आह्वान पर बलिया के लड़ाकों द्वारा बलपूर्वक बलिया को आजाद घोषित करते हुए ब्रिटिश हुकूमत के समानान्तर सरकार बना लेने की घटना का महामहिम राष्ट्रपति से जिक्र किया तो वे चकित रह गयीं। उन्होंने महामहिम को बताया कि उनकी पुस्तक में उक्त आन्दोलन में बलिदान देने वाले बलिया के चौरासी सेनानियों, जिनमें बालिकाएं एवं महिलाएं भी थीं, के अलावा उससे जुडी़ अन्य अविस्मरणीय घटनाओं का भी उल्लेख किया गया है।
अपने जनपद के इस होनहार युवा की इस गौरवशाली उपलब्धि पर स्थानीय साहित्यकारों एवं बुद्धिजीवियों में हर्ष व्याप्त है। धर्मराज ने अपनी इस सफलता का श्रेय अपने माता उर्मिला देवी तथा पिता कन्हैया प्रसाद के अलावा अपने मार्गदर्शक अशोक गुप्ता पत्रकार, कवि शशि प्रेमदेव, शिव जी पाण्डेय रसराज आदि को दिया है। उन्हें बधाई देने वालों में दिल्ली के पत्रकार उमेश द्विवेदी, कोलकाता के पूर्व पत्रकार विनय बिहारी सिंह, यशवंत कुमार सिंह, शत्रुघ्न पाण्डेय, सत्यांश उपक्रम के सत्यमोहन श्रीवास्तव, कवयित्री कादम्बिनी सिंह, लेखक नवचंद तिवारी, सूर्यदेव सूरज, शिवाजी, गुर्वेन्द्र, अनिमेष, बबलू गुप्ता आदि प्रमुख रहे।
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