बलिया : जिलाध्यक्ष का ऐलान - Digitalization का विरोध करेगा विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन

बलिया : जिलाध्यक्ष का ऐलान - Digitalization का विरोध करेगा विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन

Ballia News : परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों की ऑनलाइन हाजिरी दर्ज करने के साथ ही सभी रिकॉर्ड ऑनलाइन करने के आदेश का विशिष्ट बी.टी.सी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन ने विरोध किया है। एसोसिएशन के जनपदीय अध्यक्ष डॉ. घनश्याम चौबे ने कहा कि वर्तमान में सरकार इस तरह का माहौल बना रही है, जैसे शिक्षक अपने दैनिक कर्तव्य करना नहीं चाहता है। सुनियोजित तरीके से शिक्षक वर्ग को लेकर नकारात्मक माहौल बनाया जा रहा है। लेकिन हकीकत इसके विपरीत है। आए दिन तुग़लकी फरमानों एवं गैर शैक्षणिक कार्यों के बोझ के कारण शिक्षक अपने पदेन दायित्वों के निर्वहन में असहज महसूस कर रहा है।

बेसिक शिक्षा परिषद को प्रयोगशाला बना दिया गया। सर्व विदित है कि प्रयोगशाला में किए गए कार्य के होने या ना होने की जिम्मेदारी नहीं होती कि प्रयोग सफल होगा या असफल। उसी प्रकार बेसिक शिक्षा की प्रयोगशाला में भी कोई किसी प्रकार की जिम्मेदारी नहीं है। इससे उन नौनिहालों पर प्रयोग का क्या असर पड़ेगा जो मानवीय संवेदना से ओत प्रोत है न कि प्रयोगशाला के जीव।                         

शिक्षक ऑनलाइन हाजिरी का विरोध क्यों कर रहे हैं? इसको लेकर किसी समाचार पत्र एवं सामाजिक संगठन ने बात करना भी मुनासिब नहीं समझा। यदि शिक्षकों की समस्याओं पर गौर किया जाए तो आपके पैरों तले जमीन खिसक जाएगी। एसी कमरों में बैठने वाले हुक्मरान यह नहीं जानना चाहते कि जो विद्यालय दुर्गम क्षेत्रों में है, जहां आवागमन का कोई साधन नहीं है। पगडंडी वाला रास्ता है, जहां किसी वाहन से चल पाना संभव नहीं है या बरसात के दिन में कुछ विद्यालय जलमग्न हो जाते हैं, वहां अध्यापक कैसे पूरे वर्ष समय से पहुंचेगा।                        

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यंत्रवत संचालित व्यवस्था यथा रेल, वायुयान आदि का परिचालन भी  उत्पन्न परिस्थितियों के कारण विलंब हो सकती है, फिर अध्यापक तो मानव ही है। प्रोबेबिलिटी कहती है कि कुछ विशेष दिवसों में शिक्षक को देरी हो सकती है। वह देरी बारिश, बाढ़, प्राकृतिक आपदा, रेलवे क्रॉसिंग बंद होने से भी हो सकती है या यातायात के संसाधनों के विलंब होने के कारण। वह देरी सोमवार को फलों की टोकरी लाद कर विद्यालय ले जाने से भी हो सकती है।  

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विदित हो कि योजनाबद्ध तरीके से स्कूल शिक्षा महानिदेशक के आदेश से विगत एक वर्ष से लगातार निरीक्षण का कार्य चल रहा है। बमुश्किल एक प्रतिशत शिक्षक एक या दो मिनट ही देरी से आने पाए गए हैं। बावजूद डिजिटल हाजिरी जैसा कदम आव्यावहारिक व तुग़लकी फरमान है। शिक्षा के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए प्रबंधन का यह परमदायित्व होता है कि उद्देश्य की सम्प्राप्ति के लिए भौतिक, मानवीय तथा आर्थिक संसाधनों का समायोजन करें ना कि मशीन की तरह व्यवस्था का यंत्रीकरण।

हुक्मरानों को यह भी दिखाई नहीं देता कि जो विभाग समय से स्थानांतरण नहीं कर सकता, समय से पदोन्नति और बकाया देयकों को नहीं दे सकता, वह किस तरह शिक्षकों के साथ न्याय का झूठा दिखावा कर सकता है। आंकड़ेबाजी में उलझा विभाग कब मूल शिक्षा से कोसों दूर होता जा रहा है, यह बेहद चिंतनीय है। क्या विद्यालयों को वह समस्त भौतिक सुविधाएं प्राप्त हो पाई हैं, जो एक विद्यालय के लिए जरूरी है उत्तर मिलेगा बिल्कुल नहीं। हम देख रहे हैं कि बेसिक शिक्षा के आला हुक्मरान समाज में एक नकारात्मक दृष्टिकोण पैदा करना चाहते हैं कि शिक्षक अपने कर्तव्यों के प्रति सजग नहीं है, जबकि क्षेत्र में जाकर देखा जाए तो आंकड़े इसके उलट प्राप्त होते हैं।  जबरन दी जाने वाली गर्मी की छुट्टियां समाप्त होनी चाहिए उसके स्थान पर 30 दिवस ई.एल. की व्यवस्था होनी चाहिए, 15 दिन हाफ डे लीव की व्यवस्था होनी चाहिए क्योंकि परिवार या किसी संबंधी के यहां विवाह शादी या दुर्घटना हेतु शिक्षक मात्र 14 आकस्मिक अवकाश से कैसे अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर सकेंगे।

यह दुर्भाग्यपूर्ण विषय है कि शिक्षक-शिक्षिकाओं को स्वविवाह हेतु भी चिकित्सकीय अवकाश का सहारा लेना पड़ता है। हुक्मरान अपने जिद्दी रवैये से इस कदर मशगूल हैं कि उन्होंने प्रदेश के मुखिया तक को दिग्भ्रमित कर रखा है। ऐसी परिस्थिति में अब जरूरी है कि मजबूती के साथ उलजुलूल आदेशों का शिक्षकों द्वारा एकजुटता  के साथ विरोध किया जाए। इस क्रम में विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन प्रांतीय नेतृत्व के निर्देश के क्रम में कोलैबोरेशन बनाकर फेस रीडिंग अटेंडेंस का पुरजोर विरोध करेगा।

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