बलिया में एक सरकारी स्कूल ऐसा भी : बेसिक शिक्षा की तस्वीर बदल रहा शिक्षकों का अपना Code of conduct
Ballia News : परिषदीय विद्यालयों में नवाचार की धूम मची है। तमाम शिक्षक नवाचार के तहत नए-नए प्रयोग कर रहे हैं। बच्चों को पढ़ाने के लिए अलग-अलग तरीके इजाद कर रहे हैं। इन सबसे अलग, बलिया में एक सरकारी स्कूल ऐसा है, जहां के शिक्षकों ने खुद के लिए आचार संहिता बना दी है। अपना ड्रेस कोड लागू किया है। निर्धारित रंग के पैंट-शर्ट पहनकर ही ये प्रतिदिन स्कूल आते हैं। पहचान पत्र भी बनवाया है, जिसे वे यूनिफार्म के साथ ही धारण करते हैं। यूपी में अपने तरह का यह सबसे अलग और सम्भवत: पहला प्रयोग है।
शिक्षा क्षेत्र बेलहरी के प्राथमिक विद्यालय पुरास में प्रधानाध्यापक समेत आठ शिक्षकों की तैनाती हैं, जिनमें एक महिला हैं। विद्यालय में नामांकित बच्चों की संख्या 124 है। प्रधानाध्यापक जयप्रकाश सिंह के अनुसार, शिक्षा जगत में हो रहे बदलाव पर विद्यालय में चर्चा के दौरान सहायक अध्यापकों ने खुद के लिए ड्रेस कोड लागू करने का सुझाव रखा। तीन दिन (सोमवार, मंगलवार व बुधवार) सफेद शर्ट व नेवी ब्लू रंग की पैंट तथा अगले तीन दिन क्रीम कलर की शर्ट व नीला पैंट पर सहमति बनी।
सभी के लिए एक ही दुकान से एक साथ कपड़ा लेकर एक ही दर्जी से सिलवाया गया। पांच सितम्बर को शिक्षक दिवस के दिन से सभी शिक्षक निर्धारित यूनिफार्म में ही विद्यालय आते हैं। फिलहाल महिला शिक्षक को इससे अलग रखा गया है। शहर से दूर इस स्कूल के शिक्षकों की सोच का आज पूरा गांव कायल है।
बच्चों को उपलब्ध कराई डायरी, ताकि...
प्रधानाध्यापक जयप्रकाश सिंह बताते है कि विद्यालय के शिक्षकों ने खुद के प्रयास से निजी स्कूलों की तर्ज पर बच्चों को नि:शुल्क डायरी भी उपलब्ध कराई है। उस पर होमवर्क दिया जाता है। ‘चेक्ड’ वाली मुहर भी है, जिसे होमवर्क करके आने वाले बच्चों की कॉपी पर लगाया जाता है। बच्चों की लिखावट ठीक हो, इसके लिए पेन की बजाय पेंसिल का प्रयोग अधिक कराया जाता है। गर्मी में बच्चों की असुविधा को देखते हुए इन्वर्टर लगाने का निर्णय हुआ, जिसे खुद के साथ जनसहयोग से लगवाया गया है।
प्रतिदिन होती है अलग-अलग प्रार्थना
प्रधानाध्यापक जयप्रकाश सिंह बताते है कि, विद्यालय में प्रतिदिन अलग-अलग प्रार्थना कराई जाती है। इसका स्वरबद्ध पाठ होता है। नेवी से रिटायर विद्यालय के एक पुरा छात्र ने करीब 7500 रुपए का साउंड बाक्स भी खरीदकर दिया है, जिसका प्रयोग प्रार्थना में होता है।
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