56 साल बाद घर आया शहीद का शव, सेना के जवानों ने दी सलामी ; जन-जन ने बरसाया फूल

56 साल बाद घर आया शहीद का शव, सेना के जवानों ने दी सलामी ; जन-जन ने बरसाया फूल

नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के वीर सपूतों की एक ऐसी कहानी, जिसे सुनते ही सभी की आंखें नम हो जाएंगी। भारतीय वायु सेना के दो वीर जवान, जिनका पार्थिव शरीर 56 साल बाद उनके घर पहुंचा है। सहारनपुर के मलखान सिंह के साथ उत्तराखंड के चमोली जिले के रहने वाले नारायण सिंह बिष्ट की 1968 में एक विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। इस विमान में कुल 102 यात्री सवार थे, लेकिन 56 साल के बाद बुधवार को मलखान सिंह और नारायण सिंह बिष्ट का पार्थिव शरीर उनके गांव पहुंचा, जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया।

सहारनपुर के रहने वाले मलखान सिंह का शव सरसावा एयरपोर्ट पर पहुंचा, जहां पर वायुसेना के जवानों ने उन्हें अंतिम सलामी दी। इसके बाद सेना के ट्रक में एक बड़े काफिले के साथ उनके शव को गांव की तरफ रवाना किया गया। गांव तक के पूरे रास्ते में जगह-जगह पर उनके पार्थिव शरीर पर फूलों की बारिश की गई। इसके साथ ही मलखान सिंह के अलावा भारत माता की जय के नारों से हर जगह देशभक्ति में चूर हो गई।

गांववालों के साथ दूर-दूर से आए थे लोग
शहीद मलखान सिंह के अंतिम दर्शन करने के लिए उनके गांव के बुजुर्ग, नौजवान और उनके साथियों के साथ-साथ काफी दूर-दूर से लोग आए थे। पूरे गांव में जगह-जगह पर उनके शव पर तिरंगा लगाकर शहीद मलखान को अंतिम सफर के लिए रवाना किया गया।

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1968 में हुआ था हादसा
7 फरवरी 1968 के दिन भारतीय वायुसेना के AN-12 विमान ने चंडीगढ़ से लेह जाने के लिए उड़ान भरी थी। लेकिन कुछ समय बाद ही वह रडार पर से भटक गया और लापता हो गया। 56 साल पहले यह हादसा रोहतांग दर्रे के पास हुआ था। हादसे के समय विमान में कुल 102 लोग सवार थे। हादसे का कारण रोहतांग दर्रे में खराब मौसम बताया गया था। हादसे में सभी सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे। वायुसेना के सतत प्रयासों से साल 2003 में विमान और उसके मलबे को ढूंढ़ लिया गया था।

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घर में हैं बस पोते
हादसे के लिए खोज और बचाव अभियान डोगरा स्काउट्स के नेतृत्व में भारतीय सेना ने जारी रखा। इसी दौरान चार शव मिले, जिनमें से एक शव मलखान सिंह का था। 56 साल बाद घर लौटने पर उनके घर में मजदूरी करते दो पोते हैं। मलखान सिंह के मिलने की आस में उनके माता-पिता, बीवी और बेटा सब स्वर्ग सिधार गए हैं। आखिरकार पूरे 56 साल बाद अब उनका सही ढंग से अंतिम संस्कार किया गया।

चमोली के भी वीर पूत पहुंचे घर
इनके साथ ही उत्तराखंड के चमोली जिले के कोलपुड़ी गांव रहने वाले नारायण सिंह बिष्ट का भी पार्थिव शरीर बुधवार को सेना के विमान से गौचर पहुंचा, जहां पर शहीद को सेना के जवानों ने अंतिम सलामी दी। नारायण सिंह बिष्ट भी 1968 में एयर फोर्स के विमान हादसे में शहीद हो गए थे, जिनका पार्थिव शरीर रोहतांग दर्रे के पास अब बर्फ में 56 साल बाद मिला है। 

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