दिल में दर्द छुपाकर भी हंसती हैं बेटियां... डॉटर्स डे पर पत्रकार नरेन्द्र मिश्र ने यूं दी शुभकामनाएं
On



नरेन्द्र मिश्र, वरिष्ठ पत्रकार
'पापा घरे कब ऐबाआ...' बेटी का कॉल जब आता है तो ये न समझें कि बेटी कुछ मांगने की पेशकश कर रही है। उसका प्यार है। बेटी आपको जल्द घर आने का इशारा कर रही है। बेटे तो मस्त रहते हैं, उन्हें क्या मतलब। यह विचार मेरे मन में लिखने को कौंध रहा था। जिसे लिख ही डाला। बेटियां पराया धन कही जाती हैं, कोई संसय नहीं। बेटियां क्या है, शायद समझ पाना मुश्किल है। परिवार की प्रतिष्ठा हैं बेटियां। शादी के बाद दो खानदान की इज्जत को लेकर चलने वाली हैं बेटियां।
कष्ट उठाकर भी दिल में दर्द छुपा कर हंसती हैं बेटियां
बेटियां समाज की वो जिम्मेदार कड़ी हैं, जिनकी जितनी प्रशंसा की जाय कम होगी। समाज में बेटियां ना रहें तो आपका समाज में कोई कदर नहीं होगा। ऐसा मेरा मानना है। परिवार में एक साथ पालन-पोषण होता है। क्षमता के अनुसार परिवार पढ़ाता है। वैसे तो कोई ये नहीं चाहता कि बेटियों को कोई कमी रखी जाय। सरकार ने भी व्यवस्था दे रखा है, अपितु वह व्यवस्था पहुंच नहीं पाता है।
बड़ी विनम्र भाव से विदा हो जाती हैं बेटियां
जिस परिवार में बचपन से लाड़-प्यार में बेटी बड़ी हुई। उसके बाद पढ़ा-लिखाकर शादी की तैयारी की जाती है। उसे ससुराल जब विदा करते हैं तो वह विनम्र भाव से विदा हो जाती है। उसके शक्ति का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है कि उसी परिवार से बेटा फौज में ट्रेनिंग के लिए जब जाता है तो बेटा सहित परिवार सहम जाता है। ऐसे में बेटी की हृदय शक्ति क्या होती है, समझ आता है। जहां कोई अपना नहीं, वहां अपना बनाना होता है। वहीं मायके पर भी ख्याल रखना है कि कोई शिकायत न जाय। इतना ही नहीं टीवी देखते समय पुरुष वर्ग एक सीरियल में ही लगा रहेगा। जबकि वह बेटी तमाम घर का काम सहेजते हुए सबको चाय, नास्ता कराकर सीरियल भी देख रही होती है। ये हैं हमारी बेटियां। इन्हीं शब्दों के साथ बेटी दिवस (डॉटर्स डे) पर हार्दिक शुभकामनाएं हैं।
नरेन्द्र मिश्र
वरिष्ठ पत्रकार, बलिया
Tags: Ballia News

Related Posts
Post Comments
Latest News
18 Jul 2025 22:09:28
Ballia News : 60 वर्ष की उम्र पूरा करने वाले शिक्षामित्र वीरेंद्र चौधरी (प्राथमिक विद्यालय रेपुरा नंबर एक) का सम्मान...
Comments