सजना है सजना के लिए : बलिया के ज्योतिषाचार्य डॉ. अखिलेश उपाध्याय से जानिएं करवाचौथ की पूजन विधि और शुभ मुहूर्त



करवाचौथ त्योहार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी (करक चतुर्थी) को मनाया जाता है। इस पर्व पर विवाहित स्त्रियां पति की दीर्घायु, स्वास्थ्य और अपने सौभाग्य के लिए निराहार रहकर चन्द्रोदय की प्रतीक्षा करती हैं। उदय उपरांत चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित कर पारण करती हैं।
बलिया : सुहागिनों के लिए सबसे बड़ा पर्व करवा चौथ 10 अक्टूबर को मनाया जाएगा। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ मनाया जाता है। करवा चौथ को (करक चतुर्थी) के नाम से भी जाना जाता है। करक मिट्टी के पात्र (बर्तन) को कहा जाता है, जिसमें महिलाएं इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देती है। महिलाएं दिनभर अपने पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत करती है। ऐसा करने से चौथ माता अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद देती है। रात में चांद का दीदार करने और चलनी से पति का चेहरा देखने के बाद महिलाएं व्रत खोलती है।
करवा चौथ व्रत करने से न सिर्फ पति की आयु लंबी होती है, बल्कि इस व्रत के करने से वैवाहिक जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती व गणेश जी की पूजा का विधान बताया गया है।
पूजन मुहूर्त शाम 5:56 से 7:30 तक है। करवा चौथ का व्रत कृतिका- रोहिणी नक्षत्र में पूजा की जाएगी और रोहिणी नक्षत्र 27 नक्षत्रों में सभी से सौंदर्य व चंद्रमा का अत्यंत स्नेही नक्षत्र होने से करवा चौथ सौभाग्य के लिए विशेष सुखदाई माना जाता है।
रोहिणी नक्षत्र में चंद्रोदय ऋषिकेश पंचांग के अनुसार 7:58 पर चंद्रोदय होगा ।
पूजा की विधि में चुनरी, चूड़ी, बिंदी, मेहंदी, सिंदूर , चालन ,मिट्टी का बर्तन, गंगाजल ,कुमकुम ,चंदन ,अक्षत ,पुष्प,धूप, दीप, मीठा ,कच्च दूध,घी, चांद निकलने से पहले थाली में रखकर फिर विधि विधान से पूजन कर कथा सुनकर चंद्र दर्शन चांद को अर्घ्य देने के बाद प्रसाद खाए और अपने पति के हाथों से पानी पीकर व्रत का पारण करें।
ज्योतिषाचार्य
डॉ अखिलेश कुमार उपाध्याय
इंदरपुर, थम्हनपुरा, बलिया
9918861411

Comments