अटूट बंधन : पहले पत्नी फिर पति ने तोड़ा दम, एक साथ उठी दम्पती की अर्थी



UP News : उत्तर प्रदेश के झांसी में पत्नी की मौत के 10 घंटे बाद पति ने भी दम तोड़ दिया। रविवार को दोनों की अर्थी घर से एक साथ उठी। यही नहीं, एक ही चिता पर दोनों का अंतिम संस्कार किया गया। गांव के लोग बड़ी संख्या में अंतिम यात्रा में शामिल हुए। जिस रास्ते से शव को ले जाया गया, वहां लोग हाथ जोड़कर खड़े रहे। उन्होंने नम आंखों से पति-पत्नी अंतिम विदाई दी। बड़े बेटे ने माता-पिता को मुखाग्नि दी।
पड़ोसियों ने बताया कि रामरतन गुप्ता गरौठा तहसील के इंद्रानगर में अपने पत्नी रामदेवी (70) और बच्चों के साथ रहते थे। वह मूलरूप से हमीरपुर के रहने वाले थे। 50 साल पहले गरौठा आए थे। यहां रामरतन परचून की दुकान चलाते थे। बाद में उनके 3 बेटों अरविंद, धर्मेंद्र और उपेंद्र का यहीं जन्म हुआ। बड़े होने पर बेटों ने दुकान का काम संभाल लिया। कभी-कभी रामरतन भी दुकान पर बच्चों की मदद के लिए बैठ जाया करते थे।
पत्नी रामदेवी को 2 साल पहले किडनी की बीमारी हुई थी। झांसी मेडिकल कॉलेज से लेकर अन्य अस्पतालों में उनका इलाज हुआ, लेकिन बीमारी ठीक नहीं हुई। अभी भी उनका इलाज चल रहा था। 4 अक्टूबर को दिन में 11 बजे अचानक रामदेवी की तबीयत बिगड़ गई। घरवाले उन्हें अस्पताल ले जाने की तैयारी कर रहे थे, तभी उनकी मौत हो गई। पत्नी की मौत के समय रामरतन घर पर मौजूद नहीं थे। वह चौराहे की दुकान पर चाय पीने गए थे।
बेटों ने उन्हें फोन करके मां की मौत की सूचना दी। इस पर रामरतन सीधे घर पहुंचे। थोड़ी देर पत्नी के शव के पास बैठे रहे। लगातार उनकी आंखों से आंसू बहते रहे। पत्नी को खोने के गम में डूबे रहे। आस-पड़ोस के लोगों ने उन्हें हिम्मत दी और ढांढस बंधाया। बेटे उन्हें कमरे में ले गए। और बेड पर लिटाया। लेकिन, थोड़ी देर बाद ही रामरतन उठ गए और रात साढ़े 8 बजे तक घर के बरामदे में टहलते रहे।
रात 9 बजे रामरतन अचानक लड़खड़ाकर जमीन पर गिर गए। बेटे गिरने की आवाज सुनकर कमरे में दौड़े। देखा तो पिता की मौत हो चुकी थी। इस पर बेटे फूटकर-फूटकर रोने लगे। बार-बार एक ही बात बोल रहे थे कि वे अनाथ हो गए। अब किसके सहारे जिएंगे।सूचना मिलते ही आस पड़ोस के लोगों की भीड़ लग गई। उन्होंने बेटों को समझाया। रविवार की सुबह घर से रामरतन और रामदेवी की अर्थी निकली। बेटे उन्हें कंधा देते हुए श्मशान घाट ले गए। वहां पर एक ही चिता पर दोनों के शव को रखा गया। उसके बाद बड़े बेटे अरविंद ने चिता में आग लगाई।

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