यह कोई महल नहीं, बलिया का एक सरकारी स्कूल हैं ; प्रधानाध्यापिका ने सोच-समझ और जुनून से बदल दी तस्वीर




कुछ शिक्षक अपने पेशे को सिर्फ नौकरी भर मान लेते हैं। जिसका नतीजा यह होता है कि न तो उनके हिस्से कोई उपलब्धि जुड़ पाती है और ना ही वह चर्चाओं में ही रह पाते हैं। मगर, जो लोग शिद्दत से प्रयास करते हैं, उसकी उपलब्धि खुद ही शोर मचा कर समाज को आकर्षित कर जाती है...

बलिया : यूं तो हर स्कूल में बच्चों को शिक्षा दी जाती है, लेकिन बात सरकारी स्कूलों की हो तो अव्यवस्थाओं की तस्वीर सामने आ जाती है। जी नहीं, अब ऐसा नहीं है। यूपी के अधिकतर सरकारी स्कूलों की तस्वीर बदल चुकी है। बानगी देखना हो तो चले आइएं बलिया शहर से सटे पीएम श्री प्राथमिक विद्यालय अमृतपाली। दुबहर शिक्षा क्षेत्र के इस स्कूल के अंदर घुसते ही सुंदर फूलों की क्यारियां, चारों तरफ हरा-भरा परिवेश मन को मोह लेता है। सलीके से की गई बागवानी से मनमोहक सुगंध बिखेरते फूल मन को आनंदित कर देते है।

यह सब यहां पदस्थ राज्य शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित प्रधानाध्यापिका प्रतिमा उपाध्याय की सोच-समझ, रूचि और जुनून के साथ ही सहायक अध्यापिकाएं और महिला शिक्षामित्रों के सहयोग से साकार हो सका है। इस विद्यालय के कक्षा कक्ष की दीवारे भी बच्चों को पढ़ाती है। शिक्षा के साथ-साथ सामाजिक सरोकारों से जुड़े स्लोगन पर नजर पड़ती है तो हटती नहीं। आकर्षक और खूबसूरत वातावरण के बीच यहां बच्चों को किताबी ज्ञान के साथ खेल-कूद, सामाजिक और भविष्य से जुड़ी गतिविधियों की भी शिक्षा दी जाती हैं।

प्रधानाध्यापिका प्रतिमा उपाध्याय बताती है कि परिश्रम और लगन के बूते कुछ भी सम्भव हैं। सरकार द्वारा उपलब्ध संसाधनों का बेहतर तरीके से उपयोग कर विद्यालय को सुशोभित और अंलकृत किया गया है। इसमें अपने स्तर से भी यथा संभव संसाधन स्कूल के लिए जुटाए है। बोली, हमारा प्रयास है कि यहां पढ़ने बाले बच्चों को बेहतर माहौल मिले, ताकि उन्हें यह महसूस हो कि उनका स्कूल किसी निजी स्कूल से भी बेहतर है। स्कूल में 111 बच्चे नामांकित है, जिनके लिए पांच कक्षा कक्ष व एक लाइब्रेरी है। एक किचेन और एक कार्यालय है।

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