सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक विकास के लिए संस्कृत आवश्यक

सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक विकास के लिए संस्कृत आवश्यक

हल्दी, बलिया : भाषा विभाग के अधीन उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान द्वारा कार्यकारी अध्यक्ष आइएएस जितेन्द्र कुमार (अपर मुख्य सचिव) की प्रेरणा से मान्य निदेशक विनय श्रीवास्तव के निर्देशन में संचालित ऑनलाइन प्रशिक्षण पाठ्यक्रमनिर्माण योजना के अंतर्गत संचालित सरल-संस्कृत संभाषण कक्षा के अंतर्गत प्रेरणासत्र का आयोजन सोमवार को किया गया। सरस्वती वंदना प्रशिक्षु चित्रा सिंह ने प्रस्तुत करके इस सत्र का शुभारम्भ किया। 

तत्पश्चात प्रशिक्षक सुधीर पाण्डेय ने इतिवृत्त कथन में संस्थान के द्वारा चलाई जा रही विविध योजनाओं के बारे में विस्तृत रूप से बताया जिनमें ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण, गृहे-गृहे संस्कृत, पौरोहित्य, कर्मकाण्ड, सिविल सेवा प्रशिक्षण, ज्योतिष व योग प्रशिक्षण आदि प्रमुख हैं। संस्थान की प्रशिक्षिका नीलम रानी ने सत्र संचालन किया तथा नागेश दुबे ने स्वागत भाषण किया।

मुख्य अतिथि सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी से उपस्थित डॉ रवि शंकर पाण्डेय (असिस्टेंट प्रोफेसर) ने अपने वक्तव्य में कहा कि हमें पहले से ही ज्ञात होना चाहिए कि हमारा ध्येय क्या है, सभी संस्कृत-समुपासकों का प्रमुख दायित्व विश्व के सभी मानवों को संस्कृत का अध्ययन करने हेतु प्रेरणा देना ही है। जिससे हमारा भारत देश परम वैभव को प्राप्त कर पुनः विश्वगुरु बनने की ओर अग्रसर होगा। और अन्य लोगों को भी भारतीय संस्कार व संस्कृति के उत्थान के लिए संस्कृत पढ़ानी चाहिए।

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संस्थान द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि ऑनलाइन संस्कृत शिक्षण व गृहे-गृहे संस्कृत अत्यंत उत्तम योजनाएं हैं, जिससे अनेकों प्रशिक्षु लाभान्वित हो चुके हैं व निरंतर लाभ ले रहे हैं। संस्थान के प्रशिक्षक समन्वयिका सुश्री राधा शर्मा जी ने समागतों का धन्यवाद ज्ञापित किया।

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कार्यालय की ओर से प्रशासनिक  अधिकारी डॉ. दिनेश मिश्र, जगदानंद झा, योजना के प्रधान सहायक भगवानसिंह चौहान, लेखाकार नितेश श्रीवास्तव, आशुलिपिक वीरेंद्र तिवारी, सहायिका पूनम मिश्रा, ऋषभ पाठक, शान्तनु मिश्र, शिवम गुप्ता, प्रशिक्षण प्रमुख सुधिष्ठ कुमार मिश्र के मार्गदर्शन में समन्वयक (धीरज मैठाणी, दिव्यरंजन तथा राधा शर्मा) विष्णु कुमार  पाठक ने शान्ति मंत्र से सत्र समापन किया। जीवन प्रकाश तिवारी ने मीटिंग संचालन किया। प्रशिक्षुओं ने भी कार्यक्रम प्रस्तुत किये, जिनमें संस्कृत गीत मोनिका महोदया, श्रेया महोदया, सुरभि पाण्डेय, विजय देव, अनुभव कथन प्रतिभा मेहता, मुकेश लोधी, लघु कथा दीपा मिश्रा आदि ने किया।

एके भारद्वाज

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