प्यार बांटना काम था तेरा, पर...

प्यार बांटना काम था तेरा, पर...


आइना

आइने में खुद को निहारते वक़्त, अब आइना भी पूछ बैठा
क्या तुम वही इंसान हो जिसको उस रब ने भेजा।
इंसानियत को छोड़ अब हैवानियत पे तू उतर गया,
प्यार बांटना काम था तेरा, पर तु नफरत फैलाने पर तूल गया।
अब तो वो ऊपरवाला भी उम्मीद करना भूल गया,
खुद के ऐसोआराम में तू दुसरो का दर्द देखना भूल गया।
जिसने तुझको है बनाया, तूने उसको ही बेच दिया,
धर्मो में सबको बांटकर,ग लती उसी पर मथ दिया।
प्रकृति के हर कोने को तूने है छल्ली कर दिया,
अब जब है उसने रूप दिखाया, तूने इल्ज़ाम उसी पर मढ़ दिया।
अब भी समय है संभल जा, वरना कुछ बचा न पायेगा 
जिससे है तूने जन्म लिया उसी के हाथों अपना विनाश पायेगा।


कामना पांडेय
मिड्ढ़ा, बलिया (उ.प्र.)

(रचनाकार कामना पांडेय बलिया के वरिष्ठ पत्रकार श्रवण पांडेय की बेटी है।)

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