छोटे प्राथमिक स्कूल के बच्चों की पुकार : हमें मत तोड़ो, पढ़ने दूर न जा सकेंगे, हमारी पढ़ाई को न...




छोटे प्राथमिक स्कूल के बच्चों की पुकार
छोटा सा यह स्कूल, पर दिल से हमारा,
यहीं जगा हर सपना प्यारा।
मिट्टी की खुशबू, दीवारें पुरानी,
यहीं बसी है हमारी ज़िंदगानी।
गरीब का सहारा, यही तो है आस,
नहीं और कहीं हमें मिलता विश्वास।
न पास है साधन, न बड़ी उम्मीदें,
बस यही स्कूल है, जो हमें संजीव दे।
माँ जैसा है, सिखाता हर पाठ,
पढ़ाई के संग-संग देता जीवन का साथ।
यहाँ की घंटी से गूँजती है हँसी,
आँगन में होती है खुशबू कड़ी।
इसे विलय कर, न छीनो हमारा अधिकार,
गरीब के बच्चों का न छीनो प्यार।
सरकार से बस यही गुहार,
छोटे सपनों को न करो बेकार।
हर किताब यहाँ, एक ख्वाब लिखती है,
हर बच्चा यहाँ, नई उड़ान भरता है।
छोटा है यह, पर बड़ा है इसके मायने,
हर कोने में गूँजते हैं जीवन के तराने।
हमारी आवाज़ सुनो, हमें मत तोड़ो,
इन सपनों की डोर को न यूँ मोड़ो।
हम गरीब सही, पर समाज के है अंग,
पढ़ने दूर न जा सकेंगे, हमारी पढ़ाई न करो भंग।
स्वरचित
नन्द लाल शर्मा
कड़सर, सीयर, बलिया


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