खूब वायरल हो रहा 'पुत्र का पत्र पिता के नाम...'

खूब वायरल हो रहा 'पुत्र का पत्र पिता के नाम...'

पुत्र अमेरिका में जॉब करता है। उसके माँ बाप छोटे शहर में रहते हैं। अकेले बुजुर्ग हैं, बीमार हैं, लाचार हैं। जहाँ पुत्र की आवश्यकता है, वहाँ पैसा भी काम नहीं आता। पुत्र वापस आने की बजाय पिता जी को एक पत्र लिखता है।          
पुत्र का पत्र पिता के नाम

पूज्य पिता जी!

आपके आशीर्वाद से आपकी भावनाओं और इच्छाओं के अनुरूप मैं, अमेरिका में व्यस्त हूँ।
यहाँ पैसा, बंगला, साधन सुविधा सब हैं, नहीं है, तो केवल समय। आपसे मिलने का बहुत मन करता है। चाहता हूँ, आपके पास बैठकर बातें करता रहूँ। आपके दुख-दर्द को बाँटना चाहता हूँ, परंतु क्षेत्र की दूरी। बच्चों के अध्ययन की मजबूरी। कार्यालय का काम करना भी ज़रूरी।
क्या करूँ? कैसे बताऊँ ?
मैं चाह कर भी स्वर्ग जैसी जन्म भूमि और देव तुल्य माँ-बाप के पास आ नहीं सकता।

पिता जी !
मेरे पास अनेक संदेश आते हैं।
"माता-पिता जीवन भर अनेक कष्ट सहकर भी बच्चों को उच्च शिक्षा दिलवाते हैं और बच्चे माँ-बाप को छोड़ विदेश चले जाते हैं। पुत्र, संवेदनहीन होकर माता-पिता के किसी काम नहीं आते हैं।

पर पिता जी,
मैं बचपन में कहाँ जानता था कि इंजीनियरिंग क्या होती है।मुझे क्या पता था कि पैसे की कीमत क्या होती है? मुझे कहाँ पता था कि अमेरिका कहाँ है ? योग्यता, नाम, पैसा, सुविधा और अमेरिका तो बस... आपकी गोद में बैठकर ही समझा था न?

आपने ही मंदिर न भेजकर, कॉन्वेंट स्कूल भेजा। खेल के मैदान में नहीं, कोचिंग में भेजा। कभी आस-पड़ोस के बच्चों से दोस्ती नहीं करने दी। आपने अपने मन में दबी इच्छाओं को पूरा करने के लिए दिन रात समझाया कि, इंजीनियरिंग, पैसा, पद, रिश्तेदारों में नाम की वैल्यू क्या होती है।

माँ ने भी दूध पिलाते हुए रोज दोहराया कि, मेरा राजा बेटा बड़ा आदमी बनेगा। खूब पैसा कमाएगा। गाड़ी-बंगला होगा, हवा में उड़ेगा ! कहा था। मेरी लौकिक उन्नति के लिए, जाने कितने मंदिरों में घी के दीपक जलाए थे।

मेरे पूज्य पिताजी!
मैं बस आपसे इतना पूछना चाहता हूँ कि, संवेदना शून्य मेरा जीवन आपका ही बनाया हुआ है। मैं आपकी सेवा नहीं कर पा रहा, होते हुए भी आपको पोते-पोती से खेलने का सुख नहीं दे पा रहा। मैं चाहकर भी पुत्र धर्म नहीं निभा पा रहा। मैं हजारों किलोमीटर दूर बंगले, गाडी और जीवन की हर सुख सुविधा को भोग रहा हूँ। आप, उसी पुराने मकान में वही पुराना अभावग्रस्त जीवन जी रहे हैं।

क्या इन परिस्थितियों का सारा दोष सिर्फ़ मेरा है ?

आपका पुत्र
  ******

Related Posts

Post Comments

Comments

Latest News

बेसिक शिक्षा मंत्री के हाथों सम्मानित हुए बलिया के शिक्षक सुशील कुमार, खुशी की लहर बेसिक शिक्षा मंत्री के हाथों सम्मानित हुए बलिया के शिक्षक सुशील कुमार, खुशी की लहर
Ballia News : उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से उत्कृष्ट योगदान देने वाले 75 प्रधानाध्यापकों के साथ ही...
प्यार का दुःखद अंत : फंदे से लटका मिला प्रेमी जोड़े का शव, जांच में जुटी पुलिस
नहीं आई बारात, आंसुओं में बह गए शादी के अरमान
बलिया में पलटी आर्केस्ट्रा पार्टी की पिकअप, दो नर्तकी घायल
बलिया में Road Accident, दुकानदार की मौत से मचा कोहराम
डी गुकेश की जीत पर बलिया शतरंज खेल संगठन ने जताई खुशी, बोले- यह सफलता 1983 के क्रिकेट वर्ल्ड कप जैसी
बलिया : गले में तख्ती लटकाये थाने पहुंचा मनचला रोमियो, देखें Video