तुम्हारे प्रति मेरे जज़्बात नहीं बदलेंगे, मुहब्बत भरे ये...

तुम्हारे प्रति मेरे जज़्बात नहीं बदलेंगे, मुहब्बत भरे ये...

तुम्हारे प्रति मेरे जज़्बात नहीं बदलेंगे,
मुहब्बत भरे ये दिन-रात नहीं बदलेंगे।
जमाना बेशक बदले नज़रिया अपना,
मैं  और  मेरे  ख़यालात  नहीं बदलेंगे।

रजनी टाटस्कर, भोपाल, मप्र



Tags: Suprabhat

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