बलिया में शिक्षा दिवस के रूप में मनी मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती
बलिया। शिक्षाविद, लेखक, पत्रकार व स्वतन्त्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती शिक्षा दिवस के रूप में अंजुमन तरक़्क़ी ए उर्दू के कैम्प कार्यालय पर मनाई गई। इसमें अंजुमन के पदाधिकार व मेम्बरान के अतिरिक्त बड़ी तादाद में हिन्दू व मुसलमान शामिल हुए। सबसे पहले संरक्षक डॉ हैदर साहब के संदेश को डॉ अब्दुल अव्वल ने पढ़ कर सुनाया। जावेद अख्तर ने मौलान के पत्रकारिता को याद करते हुए अल्हेलाल में छपने वाले इंक़लाबी लेख का वर्णन किया। अब्दुल मोमिन ने मौलान को सर सैयद का हामी बताते हुए उनके तालीमी कारनामे को याद किया।
कामरेड तेज़नरायन ने मौलाना को सेकलुरिसम का मसीहा बताया। फतेह चंद गुप्त बेचैन ने अपनी कविता के ज़रिए मौलाना को याद किया। इलतफ अहमद ने पहले शिक्षा मंत्री के रूप में किए गए काम व बनाए गए संस्थानों का ज़िक्र किया। डॉ अब्दुल अव्वल ने टेक्निकल शिक्षा में मौलाना के उत्कृष्ट कार्यों का वर्णन किया। सोहैल अहमद ने इस्लाम के इंसानियत हमदर्द तालीम को आम करने श्रेय मौलाना को दिया। नुरूलहुदा लारी ने मौलाना की हमाजेहत व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। अली अख्तर, हाजी अब्दुल क़ुर्बान अशफाक अहमद, शमशाद अहमद,यूसुफ शेख, सयद शाहनवाज़, इबरार अहमद आदि ने भी विचार रखे। अध्यक्षता नुरूलहुदा व संचालन डॉ अब्दुल अव्वल में किया।
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