बलिया के कराटे खिलाड़ी अब नहीं होंगे गुमराह : यशपाल सिंह

बलिया के कराटे खिलाड़ी अब नहीं होंगे गुमराह : यशपाल सिंह


बलिया। कराटे एसोसिएशन ऑफ उत्तर प्रदेश के महासचिव जसपाल सिंह ने कराटे खेल की गतिविधियों पर न सिर्फ तमाम जानकारी दी, बल्कि सस्पेंड तत्कालीन जिला संघ का राज भी खोला। पत्रकारों के हर सवाल का जवाब बेबाकी से देते हुए महासचिव ने कहा कि बलिया के खिलाड़ियों के साथ धोखा हो रहा था। मामला संज्ञान में आते ही न सिर्फ बलिया संगठन को भंग किया गया, बल्कि नई कार्यकारिणी भी गठित कर दी गई है। 

पत्रकारों से बातचीत में श्री सिंह ने बताया कि कराटे एसोसिएशन ऑफ यूपी सीनियर वर्ग में ऑनलाइन प्रतियोगिता आयोजित करने जा रहा है। इसके स्वर्ण पदक विजेता राष्ट्रीय ऑनलाइन प्रतियोगिता में प्रतिभाग करेंगे। राष्ट्रीय प्रतियोगिता में स्वर्ण, रजत व कांस्य पदक विजेताओं को क्रमश: 21 हजार, 11 हजार व 5000 की धनराशि से पुरस्कृत किया जाएगा। एक सवाल के जवाब में महासचिव ने कहा कि बलिया के तत्कालीन जिला कराटे संघ के सचिव द्वारा खिलाड़ियों के साथ दुर्व्यवहार, धनउगाही एवं अभिभावकों तथा खिलाड़ियों को न सिर्फ वास्तविकता से गुमराह रखा गया, बल्कि राष्ट्रीय प्रतियोगिता के नाम पर अमान्य प्रमाण पत्र भी बांटे गए हैं।इन सब शिकायतों को दृष्टिगत रखते हुए तत्कालीन जिला संघ की सदस्यता समाप्त कर दी गई है, क्योंकि मामला खिलाड़ियों के भविष्य से जुड़ा था। 

अध्यक्ष बाल कृष्ण मूर्ति व सचिव सुमित झा के नेतृत्व में बलिया की सम्बद्धता

प्रदेश महासचिव ने बताया कि स्पोर्ट्स कराटे एसोसिएशन आफ बलिया की सम्बद्धता अध्यक्ष बाल कृष्ण मूर्ति व सचिव सुमित झा के नेतृत्व में प्रदान की गई है। कार्यकारिणी विस्तार यथाशीघ्र किया जाएगा।किसी भी कराटे खिलाड़ी का अहित बलिया में नहीं होने दिया जाएगा। सभी खिलाड़ियों का स्वागत है। 

खेल मंत्री के प्रयास से बलिया को मिला कराटे कोच

महासचिव ने बताया कि यूपी सरकार के खेल मंत्री उपेंद्र तिवारी के प्रयासों से बलिया स्टेडियम में कराटे कोच की तैनाती भी हो चुकी है। अधिकारियों से भी अपील है कि वह बलिया कराटे खेल के विकास में अपना सहयोग प्रदान करें।

बलिया के कराटे खिलाड़ियों को ऐसे किया जा रहा था गुमराह

प्रेसवार्ता के दौरान महासचिव ने कराटे को लेकर जो खुलासा किया, वह हैरत में डालने वाला है। कहा कि पता चला है कि बलिया में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक की प्रतियोगिताओं के नाम पर खिलाड़ियों को न सिर्फ गुमराह किया गया, बल्कि यहां के लगभग 40 खिलाड़ियों को राष्ट्रीय स्तर पर तथाकथित तौर पर मेडल भी उपलब्ध करा दिया गया हैं, जबकि यूपी में कराटे एसोसिएशन को अस्तित्व में आने के बाद से अब तक शायद 30-35 से अधिक खिलाड़ी नेशनल के मेडल विजेता नहीं है। ऐसे में बलिया के कराटे खिलाड़ियों को गलत तरीके से गुमराह करना कहीं से ठीक नहीं था। कहने के लिए यहां के खिलाड़ियों के पास नेशनल और इंटरनेशनल का मेडल और सर्टिफिकेट है, लेकिन उसका लाभ न तो किसी नौकरी में मिलेगा ना ही कही प्रवेश में। बताया कि बीते दिनों मुख्यमंत्री कार्यालय से बलिया के एक कराटे खिलाड़ी को खेल पुरस्कार देने संबंधित सत्यापन पत्र लखनऊ कार्यालय को मिला था, लेकिन जांच में यह तथ्य सामने आया कि वह खिलाड़ी नेशनल खेला ही नहीं है। इसके बाद जिला कराटे संघ और संदेह के घेरे में आ गया था।

खुद पर लगे आरोप का दो टूक जबाब

यही नहीं खुद पर लगे आरोप को खारिज करते हुए प्रदेश महासचिव ने कहा कि यदि मैं संगठन से सस्पेंड हूं तो किसी और को कैसे सस्पेंड कर सकता हूं ? बावजूद इसके सस्पेंड किया हूं तो उस व्यक्ति को विचलित नहीं होना चाहिए, क्योंकि उसकी नजर में तो मैं सस्पेंड हूं। इस दौरान महासचिव ने संगठन से जुड़ी तमाम बातें मीडिया के समक्ष रखी। 

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