अंतर्मन को झकझोरने वाली है बलिया की ये चार घटनाएं
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बलिया। जिस युवा को देश का भविष्य कहा जाता है, वर्तमान में वही युवा अब निराशा और अवसादग्रस्त होता नजर आ रहा है। अवसाद और निराशा के बोझ से दबे ये युवा अब आत्महत्या की तरफ मुखर हो रहा है। अकेले बलिया जनपद में ही बीते चौबीस घण्टे में चार युवाओं द्वारा आत्महत्या की घटना ने जनपद की मनोदशा को झकझोर दिया है।
केस नम्बर 1-
बैरिया थानाक्षेत्र के प्रसाद छपरा निवासी सूरज तिवारी पुत्र राजेन्द्र तिवारी ने परिवार से नाराज होकर गंगा डूबकर अपनी जान दे दी।
केस नम्बर 2-
इसी दिन रसड़ा के कोतवाली थानांतर्गत जाम गांव निवासी 35 वर्षीय प्रदीप सिंह ने पंखे से लटककर अपनी इहलीला समाप्त कर डाला।
केस नम्बर तीन-
रसड़ा के ही थाना कोतवाली क्षेत्र के दलई तिवारीपुर निवासी शशिकांत तिवारी (35) पुत्र नगेन्द्र तिवारी ने अपने नवनिर्मित घर में पाइप के सहारे फंदा लटकाकर अपनी जान दे दी।
केस नम्बर चार-
रसड़ा के कोतवाली थानांतर्गत नागपुर गांव निवासी सन्तोष कुमार सिंह (35) पुत्र पारसनाथ सिंह अपने कमरे में ही फांसी के फंदे पर झूल गए।परिजनों के अनुसार सन्तोष काफी दिनों से अवसादग्रस्त थे, जिनका इलाज गोरखपुर के किसी अस्पताल में चल रहा था।
उपरोक्त घटना तो केवल उदाहरण भर है। ऐसे अनेक घटनाएं रोज घटती है, जिस पर गम्भीरता से सोचना आवश्यक है कि वर्तमान युवा आखिर हतोत्साहित क्यों होता जा रहा है? जनपद में महज चौबीस घण्टे में लगभग आधे दर्जन के करीब आत्महत्या की घटना ने जनपदवासियों के अंतर्मन को झकझोर कर रख दिया है। जिस जनपद की संस्कृति में आयुष्मान भवः, जुग-जुग जियो, दूधो नहाओ, पूतो फलो जैसे आशीर्वाद दिया जाता हो, आखिर उसी जनपद के युवा जिंदगी को ठोकर मारकर मौत के आगोश में क्यों चले जा रहे है? हमारा देश एक युवा राष्ट्र है अर्थात यहां युवा आबादी है, परन्तु विचलित करने वाली बात है कि ये युवा दिशाहीन और लक्ष्यहीन होकर अवसादग्रस्त हो रहा है।
रवीन्द्र तिवारी
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