कसमें वादे प्यार वफा के वादें है......!

कसमें वादे प्यार वफा के वादें है......!


-घोसी में ‘हरिनारायण’ दे रहे लिटमस टेस्ट

बलिया। अभी तक घोसी लोकसभा का राजनीतिक समीकरण काफी हद तक जाति, धर्म, लिंग, क्षेत्र-विशेष, आर्थिक स्थिति इत्यादि पर ही आधारित रहा है, लेकिन मौजूदा चुनाव कसमंे-वादे प्यार वफा....! के ईर्द-गिर्द घूमता नजर आ रहा है। कारण कि निवर्तमान संासद और भाजपा प्रत्याशी हरिनारायण राजभर वर्ष 2014 में चली मोदी लहर की सुनामी पर सवार होकर संसद में पहुंच गयें। फिलवक्त उन्हें कई कड़े इम्तिहानों का सामना या यंू कहे कि उनका वास्तव में लिटमस टेस्ट होगा तो कोई अतिशोयक्ति नहीं होगी।
कारण कि एक तरफ जहां राजभर बिरादरी के रहनुमा मंत्री ओमप्रकाश राजभर की सुभासपा पूर्वांचल की तरीबन 39 सीटों पर भाजपा की हवा निकालने पर तुली है तो वहीं दूसरी तरफ बीते पांच में अपने विवादित बयानों से मीडिया की सुखिया रहे निवर्तमान सांसद से मतदाता विकास का रिपोर्ट कार्ड भी ख्ंागालेंगे। इतना ही नहीं सपा-बसपा का गठबंधन भी इस बार सांसद जी राह में रोड़ा अटका रहा है। इससे इत्तर पार्टी के अंदरखाने निवर्तमान सांसद के प्रति विरोध का चल रहा अंडर करंट का झटका भी उनसे मुखातिब होने को बेकरार दिख रहा है। यही कारण है कि यह चुनाव हरिनारायन राजभर के लिए लिटमस टेस्ट बना है। उन्हें  एक ओर पार्टी आलाकमान को भरोसा दिलाना होगा कि वो ओमप्रकाश राजभर के कद के बिरादरी के नेता है। यानि कि अपनी जीत सुनिश्चत करने के साथ ही उन्हें पूर्वांचल खासकर गाजीपुर, बलिया, आजमगढ़, देवरिया, मऊ, गोरखपुर आदि जनपदों में राजभर बिरादरी का वोट बैंक पार्टी की ओर मूव कराना होगा। इसके अलावा घोसी लोकसभा की जनता को यह विश्वास भी दिलाना होगा कि विकास का पहिया बदस्तूर चलता रहेगा। इसके अलावा संयुक्त विपक्ष यानि सपा-बसपा के गठबंधन से भी पार पाना होगा। अब देखना रोचक होगा कि हरिनारायन राजभर इस लिटमस टेस्ट में पास होते है फेल और घोसी की जनता उनके रिपोर्ट कार्ड पर कितने मार्कस देती है।


By-Ajit Ojha

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