बलिया के पत्रकार ने दिल्ली से Facebook पर किया शेयर... याद आया अपना गांव
On




आज याद आया अपना गांव
ख़ुश-क़िस्मत हैं वो जो गांव में लम्बी तान के सोते हैं, हम तो शहर के शोर में शब-भर अपनी जान को रोते हैं।
आज मेरा शहर डरा है, अपनी भीड़ को लेकर, अपनी गगनचुंबी सी ऊंची ईमारतों को लेकर, उससे अधिक लुटियन्स की फरेवी शाम दहशत में है। सब चुप हैं, आबो हवा या गुलजार लुटियन्स की काफी हाउस, या फिर इसकी मदहोश लफ्फा जिंया।
आज मुझे सुलक्षणा अहलावत की दो पंक्तियां याद बन सताने लगी...
शहरों में कहां मिलता है वो सुकून जो गांव में था,
जो मां की गोदी और नीम पीपल की छांव में था।
पर क्या करें, यह सबब तो हमारी मुफलिसी का था, हमारी तंगहाली का था या फिर अपनी हुनर से देश को बुलंदियों पर ले जाने को था, पर शफीक के जुबानी कहें तो असल वजह की शुरुआत तो यहीं से थी...
जो मेरे गांव के खेतों में भूख उगने लगी
मेरे किसानों ने शहरों में नौकरी कर ली।
आज दिल्ली से सुदूर यूपी का आखिरी छोर, गंगा और सरजू के पाटों के बीच अपनी अल्हड़पन को सहेजे, वीर धरा के अभिमान से शीश ताने, गंगा के मातृभाव के आगोश में संताप संग विनोद करते कर्मवीरों की धरा बलिया और अपना गांव रामगढ़, कुछ यूं याद आया...
तितलियों के
लाखों रंग
बूढ़े बरगद की
ठंडी छांव,
लहलहाते खेत
जिंदा है..
मेरा गांव
भरत चतुर्वेदी की फेसबुक वाल से

Related Posts
Post Comments

Latest News
12 Dec 2025 06:52:06
Magh Mela 2026 : प्रयागराज माघ मेले का लोगो जारी किया गया है। इस लोगो के अन्तर्गत तीर्थराज प्रयाग, संगम...



Comments